NEWSPR डेस्क। वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहे लोगों में अब ब्लैक फंगस का खौफ बढ़ता जा रहा है। केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस के बढ़ते हुए दायरों को देखते हुए राज्यों से महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत इसे महामारी घोषित करने को कहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। इससे पूर्व भी कई राज्य ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुके हैं।
कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस ने भी लोगों को जकड़ना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे सम्बंधित गाइडलाइन भी जारी कर दी थी। ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले में मौत की आशंका बहुत बढ़ जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक राज्य में महामारी घोषित होने के बाद राज्य के सीमा क्षेत्र के भीतर सभी निजी व सरकारी अस्पतालों को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिसर (ICMR) की गाइडलाइन के मुताबिक ही संक्रमण की जांच करनी होती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वाइंट सेकेट्री लव अग्रवाल ने सभी राज्यों को पत्र जारी करते हुए कहा है कि सभी सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों को ब्लैक फंगस की स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट की गाइडलाइन का पालन करना होगा। बता दें कि ब्लैक फंगस के मामले कोरोना संक्रमण से ठीक हुए रोगियों में देखे जा रहे हैं।
महामारी का अर्थ:
जब कोई बीमारी लोगों के बीच एक-दूसरे को संक्रमित करती है, साथ ही उस बीमारी से होने वाली मौत, इंफेक्शन या उससे प्रभावित देशों की संख्या के आधार पर उसे महामारी घोषित कर दिया जाता है। महामारी घोषित करने का फैसला विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को लेना होता है। महामारी पर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। यह धीरे धीरे पूरे विश्व में अपना पैर पसारती है। कोरोना संक्रमण से पहले भी चेचक, हैजा, प्लैग जैसी बीमारियां महामारी के रूप में घोषित की जा चुकी हैं।
क्या होंगे बदलाव:
जब किसी बीमारी को महामारी घोषित किया जाता है तो इसका मतलब होता है कि यह बीमारी पूरे विश्व के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। स्वास्थ्य महकमे को इससे सम्बन्धित पूरी तैयारियां करनी पड़ती हैं और इसके प्रति सचेत होना पड़ता है। महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को कहा था।
1897 में जब देश में अंग्रेजी हुकुमत थी तब महामारी ऐक्ट बनाया गया था। खतरनाक बीमारियों के फैलने पर अंकुश लगाना एवं स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर से बेहतर बनाना इस कानून के तहत अनिवार्य है। महामारी घोषित होने के बाद महामारी ऐक्ट के नियमों का सभी राज्यों को पालन करना होता है। राज्यों द्वारा निर्धारित नियमों को न मानने पर इस एक्ट के तहत दण्डित किए जाने का भी प्रावधान है।
इस महामारी एक्ट के तहत ट्रेन, बस या अन्य यात्रा संसाधनों से यात्रा करने वाले लोगों की निगरानी करना एवं संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल या अस्थाई आवास में रखवाने का प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। महामारी ऐक्ट अधिनियम के निर्देश की अवहेलना करने की दशा में इसे अपराध की श्रेणी में माना जाएगा और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी।
इस ऐक्ट के तहत सरकार द्वारा टीके और दवाओं के वितरण के साथ सम्पूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था किए जाने का प्रावधान है। संबधित महामारी के दौरान जिले के समस्त प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों को पूरी जानकारी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होगी। महामारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करना अनिवार्य होता है।