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अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि कब है? जानिए हवन का समय, कन्या पूजन और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार 23 अक्टूबर को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है

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NEWSPR डेस्क। 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुके हैं. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार 23 अक्टूबर को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है.

सप्तमी की तिथि में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि की पूजा से अज्ञात भय, शत्रु भय और मानसिक तनाव नष्ट होता है. इस बार दुर्गा अष्टमी, महानवमी और दशहरा की तिथियों को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है, क्योंकि इस बार नवरात्र पूरे नौ दिन समाप्त हो जा रहा है. हिंदी पंचांग की तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों की तरह 24 घंटे की तरह नहीं होती हैं.

ऐसे में यह तिथि 24 घंटे से कम या ज्यादा हो सकती हैं. नवरात्रि की महाष्टमी, महानवमी और दशहरा (विजयादशमी) की तारीखों को लेकर न हो परेशान, जानिए यहां सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशहरा की तिथि और शुभ समय…

नवरात्र पूजा के लिए हवन सामग्री
कूष्माण्ड (पेठा), 15 पान का पत्ता, 15 सुपारी, 15 जोड़े लौंग, 15 छोटी इलायची, 15 कमल गट्ठे, 2 जायफल, 2 मैनफल, पीली सरसों, पंच मेवा, सिन्दूर, उड़द मोटा, 50 ग्राम शहद, 5 ऋतु फल, केले, 1 नारियल, 2 गोला, 10 ग्राम गूगल, लाल कपड़ा, चुन्नी, गिलोय, 5 सराईं, आम के पत्ते, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, भोजपत्र, काली मिर्च, मिश्री, अनार दाना.

हवन विधि
कल अष्टमी है. अष्टमी और नवमी की पूजा के पश्चात आप हवन कुंड को एक साफ स्थान पर स्थापित कर दें. हवन सामग्री को एक बड़े पात्र में मिलाकर रख लें. इसके बाद आम की लकड़ी और कर्पूर हवन कुंड में रखें और आग प्रज्ज्वलित कर दें. इसके पश्चात इन मंत्रों से हवन प्रारंभ करें.

ओम आग्नेय नम: स्वाहा

ओम गणेशाय नम: स्वाहा

ओम गौरियाय नम: स्वाहा

ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा

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ओम दुर्गाय नम: स्वाहा

ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा

ओम हनुमते नम: स्वाहा

ओम भैरवाय नम: स्वाहा

ओम कुल देवताय नम: स्वाहा

ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा

ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा

ओम विष्णुवे नम: स्वाहा

ओम शिवाय नम: स्वाहा

ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा

 

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