राशन की होम डिलिवरी वाली स्कीम को लेकर दिल्ली और केन्द्र के बीच की लड़ाई कब खत्म होगी

Patna Desk

Patna Desk (Delhi): राशन की होम डिलिवरी वाली स्कीम के रोके जाने को लेकर दिल्ली और केंद्र के बीच में छिड़ी जंग अभी थमी नहीं है. दिल्ली सरकार ने एक बार फिर से केंद्र पर बेहद तीखे वार किए है. रविवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि केंद्र सरकार ने स्कीम को पहले ये कहकर रोक दी कि इसमें मुख्यमंत्री का नाम नहीं जोड़ा जा सकता. इस बार कहा गया है कि केंद्र सरकार की मंजूरी नहीं ली गई है. सीएम केजरीवाल ने कहा है कि इस स्कीम के लिए केंद्र सरकार से 5 बार मंजूरी ली गई है.

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इधर, भारतीय जनता पार्टी ने केजरीवाल की ‘घर-घर राशन’ पहुँचाने की योजना पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले को सही ठहराते हुए ये दावा किया है कि “ऐसा करके केंद्र सरकार ने एक बड़े घोटाले को होने से रोक लिया है.”

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बीजेपी ने आरोप लगाया कि इस योजना के ज़रिए दिल्ली सरकार की मंशा ग़रीबों के नाम पर मिले राशन को ‘डायवर्ट’ कर घोटाला करने की थी. पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ का प्रावधान केंद्र सरकार ने किया था, लेकिन दिल्ली की सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से मना कर दिया, जिस कारण हज़ारों मज़दूर आज राशन लेने से वंचित रह गये हैं.

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इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एक प्रेस वार्ता कर यह आरोप लगाया था कि दिल्ली में इस हफ़्ते से घर-घर राशन पहुँचाने की योजना शुरू होने वाली थी, इसे लेकर सारी तैयारियाँ हो चुकी थीं, मगर केंद्र सरकार द्वारा दो दिन पहले इसे रोक दिया गया.

 

उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार का दावा है कि हमने मंज़ूरी नहीं ली. पर हमने एक बार नहीं, बल्कि पाँच बार मंज़ूरी ली है. क़ानूनी तौर पर हमें केंद्र की मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं है, लेकिन हमने शिष्टाचार की वजह से ऐसा किया. हमने इस योजना का नाम मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना रखा था. आपने (पीएम मोदी ने) तब कहा कि योजना में मुख्यमंत्री का नाम नहीं आ सकता. हमने आपकी बात मानकर नाम हटा दिया. फिर भी आपने इस योजना को ख़ारिज कर दिया.”

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अरविंद केजरीवाल का सवाल है कि जब देश में स्मार्टफ़ोन, पिज़्ज़ा-बर्गर की डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं? प्रेस वार्ता में केजरीवाल ने केंद्र सरकार से इस योजना को लागू करने की अपील करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री जी, क्या आप राशन माफ़िया से हमदर्दी रखते हैं? आप ग़रीबों की नहीं सुनेंगे, तो कौन सुनेगा. कई ग़रीब लोगों की नौकरी जा चुकी है. लोग बाहर नहीं जाना चाहते, इसलिए हम घर-घर राशन पहुँचाने की व्यवस्था कर रहे हैं. देश फ़िलहाल भारी संकट से गुज़र रहा है. ये समय है एक-दूसरे का हाथ पकड़ने का, लोगों की मदद करने का. इस योजना से दिल्ली के 72 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा जिनका एक बड़ा हिस्सा राशन माफ़िया चोरी कर लेता है.”

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हालांकि, केंद्र सरकार ने केजरीवाल के इन आरोपों को आधारहीन बताया है. मतलब देखा जाए तो ना ही केंन्द्र ही इस मुद्दे को शांत करना चाह रही है ना ही दिल्ली सरकार ही. अब देखना ये होगा की ये मुद्दा कब शांत होता हैं. राशन को लेकर ये बहसबाजी कब तक चलती हैं.

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