स्लम बस्ती कब बनेगी चुनावी मुद्दा, कब मिले उन्हें अपना आशियाना

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क।NEWSPR डेस्क। सूबे में चुनावी घमासान धीरे धीरे तुर्शी की ओर बढ़ चला है. सियासी दलों के बीच आरोप प्रत्याऱोप का दौर लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है. दावा आवाम की भलाई और बेहतरी के है, पर क्या सच मे ये सारी कवायदें लोकतंत्र के मालिक कहे जाने वाली जनता के लिए ही है. सवाल बड़ा पर जवाब नदारद है.. देखिए एक तफ़्तीश

नेताजी अपने क्षेत्र कि जनता से लगाते हैं वादों कि झड़ियां, वोट लेने पहुंच जाते हैं, लोगों के बीच, जलाते हैं उम्मीद का चिराग और देते हैं आश्वासन कि कर देंगे आपके सभी समस्याओं का समाधान. बस लेकिन ये सब महज वादें हैं, जो वादे ही रह जाते हैं.

लोग यहाँ अपने जीवन को जोखिम में डाल कर रह रहे हैं आप हैरान होंगे यह सुनकर कि लोग जानबूझकर अपनी जिंदगी को जोखिम में क्यों डालकर रह रहे हैं. दरअसल मामला बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र वार्ड संख्या 27 में रह रहे (झुग्गी झोपड़ी) स्लम बस्ती के लोगो से जुड़ा है. जहाँ लगभग 50 वर्षों से भी ज्यादा दिनों से लोग खुले नाले के बगल में झुग्गी झोपड़ी (स्लम बस्ती) बनाकर रह रहे हैं.

साथ ही लोग डरे और सहमे रहते हैं, कि कभी भी कोई भी बच्चा या किसी के घर के लोग इस नाले में गिर सकता है और उनकी जीवन कि समाप्ति हो सकती है, और उनके घर का एक चराग हमेशा के लिए बुझ सकता है, लेकिन सनकी समस्याओं को सुनने वाला है कौन?

साथ ही आपको बता दें कि यहां के लोग में साल के 6 से 8 महीने डर में ही बिताते हैं, उसके बावत भी कोई उनकी समस्याओं को समाधान करने नहीं पहुंचते हैं।

वहीं NEWSPR कि टीम ने (झुग्गी झोपड़ी) स्लम बस्ती में रह रहे लोगों की परेशानियों को जानने का कोशिश किया तो पता चला नेता जी का सचाई क्या है?

जब लोगों से हमने बात करने कि कोशिश किया तो पता चला कि नेता जी आते हैं हमसे वादें करते हैं, बोलते है कि इस बार इलेक्शन के बाद आपकी सभी समस्याओं का समाधान कर देंगे, और चले जाते हैं.

लेकिन उनके द्वारा किया गया कोई भी वादा कभी पूरा नहीं किया जाता है, और तो और न तो कभी सम्पूर्ण लॉकडाउन में और न ही बाढ़ के समय मे ही कभी देखने आये की लोग कैसे अपना जीवन यापन कैसे कर रहे हैं. तो अब हम किसपे और कैसे उम्मीद करें.

विक्रांत के साथ सुनील कि रिपोर्ट…

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