रूपेश सिंह हत्याकांड में आखिर कौन सी कहानी परोसेगी पटना पुलिस?

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR DESK- चौंकने वाली बात नहीं है। बिहार पुलिस के इतिहास में कहानी परोसने की रवायत लंबे समय से चलती आ रही है। महकमे के लोग, पुलिस के मुखबिर, जानकर और पुलिस के खिलाफ कोर्ट में दर्ज याचिकाएं भी इस बात पर सहमति जाहिर करती हैं।

बात यहां रूपेश सिंह की है। इंडिगो एयरलाइन्स के पटना स्टेशन हेड की। एक ऐसे शख्स की जिसे नेता से अभिनेता तक, पत्रकार, अधिकारी, डॉक्टर सब अच्छी तरह जानते थे, मानते थे और समय समय पर इनसे मदद भी लेते थे।

रूपेश की हत्या किसी गांव, सुनसान सड़क या बाईपास जैसी जगह पर नहीं हुई। कत्ल बीच राजधानी में हुआ। वैसी जगह जहां से पुलिस मुख्यालय काफी नजदीक है। वो भी उस वक्त जब सैंकड़ों की भीड़ सड़क पर टहल रही थी। ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं। यानी इरादा हत्या करने का ही था, किसी कीमत पर।

ऐसी सूरत में पुलिस ये भी थ्योरी सामने नहीं ला सकती कि लूटने का प्रयास किया गया। विरोध में गोली मार दी गई। चार टुच्चों को काले नकाब में एक जंग खाई पिस्टल के साथ खड़ा कर केस सॉल्व भी नहीं कहा जा सकता।क्योंकि, हत्या घर (कुसुम विला अपार्टमेंट) के नीचे हुई।

अभी हवा में कई कारण तैर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि छपरा के एक विवादित जमीन को लेकर झगड़ा चल रहा था, कुछ का कहना है कि रुपयों (मोटी रकम) के लेनदेन का मसला है। और कुछ लोग, ऐसी बात कह रहे हैं, जिसे लिखना/कहना अभी अनुचित है। बताया जा रहा है कि इस अनुचित कारण की वजह से कुछ महीनों पहले एयरपोर्ट पर हंगामा भी हुआ था।

अगर तीसरा मामला ही कारण निकला तो सत्तासीन पुलिस को इस हत्याकांड का पर्दाफाश कराने नहीं देंगे। संभव है कि कुछ अधिकारियों की बदली कर दी जाए और मामला समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जायेगा। या फिर, गुंजन खेमका हत्याकांड की तरह एक ऐसी थ्योरी बनाकर किसी बड़े अपराधी को जेल भेज दिया जाए, जिससे कोई संतुष्ट भले न हो मगर ‘कानून का राज कायम है’, का झंडा बुलंद किया जा सके।

बहरहाल, पुलिस की तफ्तीश अभी जारी है। अब देखना है कौन सी कहानी छन कर सामने आती है।

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