नई दिल्लीः एनआईए द्वारा कांग्रेस शासनकाल यानी यूपीए सरकार यानी साल 2008 -09 के बीच के वक्त खरीदे गए 75 एयरफोर्स के बेसिक ट्रेनर विमानों की खरीद में हुई फर्जीवाड़े मामले में दिल्ली ,मुम्बई सहित कुल 14 लोकेशन पर छापेमारी कर रही है। बताया जा रहा है कि सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के मुताबिक करीब 339 करोड़ रुपये के रिश्वत से भी जुड़ा हुआ है। जिसमें आर्म्स डीलर संजय भंडारी और उसके कई करीबियों के नाम सामने आए हैं। संजय भंडारी को रॉबर्ट वाड्रा का करीबी माना जाता है। सीबीआई की तफ्तीश के दौरान रॉबर्ट वाड्रा और संजय भंडारी के बीच विदेशी प्रोपेर्टी और उसके लिए पैसों के लेनदेन से जुड़ी जानकारी और दस्तावेज मिली थी।
संजय भंडारी के खिलाफ CBI ने जून 2019 में एयरफोर्स को 75 ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट दिलाने के नाम पर कमीशन लेने के आरोप का मामला दर्ज किया गया था। आरोप था कि संजय भंडारी ने अपनी कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के जरिए ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट देने वाली कंपनी Pilatus Aircrats Ltd के साथ मिलकर ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया। बदले में Pilatus ने संजय भंडारी को 350 करोड़ रुपए दिए।
मामला प्रकाश में तब आया था जब उपरोक्त सौदे के लिए Pilatus Aircrats Ltd की निकटतम प्रतिद्वंदी रही दक्षिण कोरियाई कंपनी कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने पिलैटस को यह करार दिए जाने के खिलाफ तत्कालीन यूपीए सरकार से विरोध दर्ज कराया था। उनका दावा था कि पिलैटस की बोली के दस्तावेज़ अधूरे थे, और इसलिए उसे मिला हुआ करार रद्द होना चाहिए।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री ने इस मामले में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी से बात की थी और उनसे इस निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह किया था। लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला, और अंत में यह अनुबंध पिलैटस को ही दिया गया था।