विकास सिंह
आराः आज सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा भारत की नई शिक्षा नीति 2020 संभावना एवं भविष्य विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य स्वयंसेवकों के बीच नई शिक्षा नीति को सही तरीके से जाने। इस वेबीनार में मुख्य वक्ता एसबी कॉलेज आरा के कार्यक्रम पदाधिकारी राम नारायण मिश्रा के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सहायक प्राचार्य डॉ कृष्ण चंद चौधरी मनोविज्ञान विभाग थे कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना के वरीय स्वयंसेवक दिव्यांशु मिश्रा ने किया इस वेबीनार में वक्ता ने भारत के नई शिक्षा नीति के सभी बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए स्कूल जाना अब वह नई मनोरंजन होगा अब विद्यार्थियों के अभिरुचि के अनुसार उन्हें पढ़ाई करने का मौका मिलेगा।
श्री मिश्रा ने कहा कि छठी क्लास से ही वोकेशनल ट्रेनिंग बच्चों में सम्मान के प्रति सम्मान की भावना ताजा करेगी साथियों ने कम उम्र में ही आत्मनिर्भर बन सकेंगे युवा वर्ग जो आगे की पढ़ाई उच्च शिक्षा की पढ़ाई करना चाहेंगे वह जहां अनुसंधान एवं शोध कार्य में जाएंगे वही ऐसे युवा जो नौकरी या पैसा चाहेंगे उन्हें स्नातक 3 वर्ष की डिग्री लेने से काम चल जाएगा उन्होंने यह भी बताया कि किस शिक्षा नीति में छात्र अपना स्वयं मूल्यांकन पार्टियों द्वारा मूल्यांकन द्वारा एवं अपने ज्ञान का मूल्यांकन से उनका समग्र मेरिट तैयार होगा जिसके आधार पर उन्हें आगे कैरियर में जाना होगा या शिक्षा नीति बच्चों किशोरों एवं युवा छात्र छात्राओं के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।मुख्य अतिथि जिला नोडल पदाधिकारी थे।
मुख्य वक्ता ने स्वयंसेवकों को बताया कि तत्पश्चात मुख्य अतिथि ने अपनी बातों को रखते हुए कहा की नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में कई अहम बदलाव हुए हैं और ये डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में ड्राफ्ट हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ एवं 34 साल बाद 2020 में कई अहम एवं महत्वपूर्ण बदलाव के साथ प्रतिस्थापित होगी। इन तीन दशकों में, हमारे देश, समाज की अर्थव्यवस्था और दुनिया में बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण बदलाव हुए। 21वीं शताब्दी की समय की मांग तथा देश की जरूरतों के कारण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने की आवश्यकता थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020’ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी। इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है। ये 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति बताया गया है, जिसका लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करना है। स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुंच सुनिश्चित करना और ये 3 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के लिए होगी।
वहीं वीवी के अध्यक्ष व पूर्व स्वयंसेवक अमित सिंह ने अपनी बातो को रखते हुए कहा कि यह शिक्षा नीति पूरी तरह से रोजगार को सृजन करने वाला तथा देश में बेरोजगार की समस्या को खत्म करने वाला है, इस शिक्षा नीति को विश्वविद्यालय के सारे प्रशासनिक कामों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से बनाया गया है जिसमें कोठारी कमीशन यशपाल कमीशन के द्वारा जितने भी प्रशासनिक सुधार की बात की गई थी उन सबों का सम्मिश्रण शिक्षा नीति में झलकती है। शिक्षा नीति में दलितों पिछड़ों एवं आदिवासियों को अब उनके हुनर एवं कौशल के आधार पर पूर्ण रूप से शिक्षित करने जैसा उद्देश्य लगता है या शिक्षा नीति पिछड़े वर्ग एवं दलित वर्ग के लोगों के लिए वरदान साबित होगी क्योंकि इसमें ड्रॉपआउट जैसी समस्याओं का सबसे बड़ा निदान किया गया यह शिक्षा नीति भारत केंद्रित है ,इसमे उच्च शिक्षा पर विशेष जोर दिया है ,जिसमे 20हजार करोड़ तक निवेश है। वेबीनार में प्रेम शंकर, सुधांशू,गोल्डेन, ज्योत्स्ना,आकाश,प्रिंस ,मनीष, अजय सिंह,दिव्यांशु ,अभिषेक,पीयूष,रोहित, अमित साहाआदि सक्रिय थे।