पटना : झारखंड में कोरोना संकट के बीच तीन दिनों तक चले अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मियों की खत्म हो गया है। हलांकि इस समझौते के बाद भी कर्मियों ने अपनी को छोड़ा नहीं हैं। प्रदेश के दस हजार से ज्यादा पारा स्वास्थ्य कर्मियों को अपनी स्थायी नौकरी को लेकर हेमंत सरकार पर दबाव बनाना तेज कर दिया है।
दरअसल झारखंड चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अपने चुनावी मेनिफेस्टों में ये वादे किया था, कि सत्ता में आने के बाद सभी अनुबंधित और अस्थायी कर्मियों को स्थायी करेंगे। लेकिन अब सरकार में आने के बाद ये सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर रही हैं। जिसके चलते कर्मियों ने हड़ताल कर सरकार से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया हैं। जिसके बाद कर्मियों ने अब सरकार पर आरोप लगाया है कि यहीं पार्टी चुनाव से पहले कई वादे करती थी अब पूरा करने का मौका आया तो शख्त नियमों का हवाला देकर कर्मियों को डरा रही है।
इधर स्वास्थ्य कर्मियों के आंदोलन के बाद अब मनरेगा कर्मियों ने भी अपनी मांग तेज करने की बात कही हैं। हलांकि मनरेगा कर्मी भी हड़ताल पर हैं और इसका असर इससे जुड़े काम-काज पर पड़ रहा है। आपको बता दें कि लगभग ढाई लाख मनरेगा मजदूरों का जॉब कार्ड नहीं बन रहा है। साथ ही मनरेगा कर्मियों ने अपनी मजदूरी बढ़ाने को लेकर भी अपनी मांग रखी है। झारखंड में सबके कम मजदूरी मनरेगा कर्मियों को मिलती है। झामुमो के घोषणापत्र में किसी भी काम के लिए न्यूनतम 335 रुपये मजदूरी का वादा किया गया था। हालांकि, सरकार ने इस बाबत केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। पारा शिक्षकों ने भी इसी तर्ज पर अपनी मांगों को लेकर दबाव तेज किया है। वे स्थायीकरण चाहते हैं।