जिले के सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल किए जा रहे अधिकतर वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं है। इतना ही नहीं कई सरकारी विभागों में चल रहे वाहनों का प्रदूषण सर्टिफिकेट होने के बावजूद कागजात अपडेट नहीं किए गए हैं। बता दें कि वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार काफी गंभीर है। वाहन प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट नहीं होने पर 10,000 जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। सरकारीी महकमा के वाहनों जुर्माने का डर भी नहीं है। हालांकि जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला ने सभी विभागों के अफसरों को अपने विभाग अंतर्गत चल रहे सभी वाहनों के कागजातों को दुरुस्त रखने का निर्देश दिया है। प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट सभी वाहनों के लिए अनिवार्य है। सभी विभागीय अफसरों को भी इसके लिए जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया है। सरकारी विभागों में चल रहे वाहनों की भी जांच की जाएगी। सभी वाहनों के लिए प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट अनिवार्य है। विभाग द्वारा नियमित रूप से प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट के लिए जांच अभियान चलाया जा रहा है।
वाहन चालकों को प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट बनवाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। विभाग द्वारा निर्देशित किया गया है कि सरकारी विभागों में चल रहे वाहनों की भी जांच की जाए।विशेष वाहन जांच के क्रम में चलंत प्रदूषण जांच केंद्र का सहयोग लिया जा सकता है।जिससे वाहनों की जांच में सुविधा होगी। इसके बावजूद सरकारी महकमे में चल रहे वाहनों के प्रदूषण जांच की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।बता दें कि जिले मैं अधौरा प्रखंड को छोड़कर सभी प्रखंडों में प्रदूषण जांच केंद्र संचालित है। कुल 23 प्रदूषण जांच केंद्र जिले में हैं।