NEWSPR DESK -सासाराम: भारत सदियों से पूरे विश्व में ज्ञान का केंद्र रहा है। बिहार में हीं विश्व का पहला विश्वविद्यालय स्थापित हुआ और तक्षशिला विक्रमशिला सहित कई प्राचीनतम शिक्षण संस्थान देश के गौरव रहे। लेकिन फिर भी हमें बताया गया कि आपके पास सही शिक्षा थी हीं नहीं। आक्रांताओं का भी मानना था कि अगर भारत पर राज करना है तो यहां की शिक्षा पद्धति को बर्बाद करना होगा।
जिसे उन्होंने बखूबी किया। उक्त बातें बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने जमुहार स्थित गोपाल नारायण विश्वविद्यालय में बहुआयामी अनुसंधान में महिलाओं की भूमिका विषय पर आयोजित द्वितीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि विश्व की पहली साहित्यिक रचना ऋग्वेद में भी शिक्षा देने वाले पुरुषों के लिए आचार्य और महिलाओं के लिए आचार्या शब्द का जिक्र है। हजारों वर्ष पूर्व भी हमारे देश की महिलाएं, बहन बेटियां शिक्षित हुआ करती थी और शिक्षा भी देती थी। जिन्हें आचार्या कहा जाता था। फिर भी आज हम पर आरोप लगाए जाते हैं कि भारत में महिलाओं को शिक्षा नहीं दी जाती, जो बिल्कुल निराधार है। इस दौरान राज्यपाल ने 1846 में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा कराई गई एक सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उस समय बिहार व बंगाल में साक्षरता दर लगभग 90% के आसपास थी और जब 1947 में अंग्रेज देश छोड़कर गए तब साक्षरता दर 20% के नीचे आ गई। जिसके जिम्मेदार हम खुद हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हम हमेशा से अग्रणी रहे हैं और महिला व पुरुष की शैक्षिक दर भी समान रही है। हमारी संस्कृति प्रारंभ से ही महिला उत्थान और उत्थान में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका से परिपूर्ण रही है। उन्होनें गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय की ओर से महिलाओं पर केंद्रित इस कार्यक्रम की तारीफ करते हुए कहा कि आज महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों से कंधा मिलाकर काम कर रहीं हैं और देश दुनियां में परचम लहरा रही हैं। ऐसे में यह कार्यक्रम निश्चित तौर पर विकसित भारत के सपने को साकार करने में मील का पत्थर साबित होगा। इस दौरान महामहिम ने भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई मोदी द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं को भी बेहद सफल करार दिया। वहीं अंतराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के उपमुख्य मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि श्रृष्टि के निर्माण, श्रृष्टि को ज्ञान देने और श्रृष्टि की सुरक्षा में भी देवी (महिला) का ही योगदान है। हमारी संस्कृति और धर्म प्रारंभ काल से हीं महिलाओं को देवी स्वरूपा के रूप में सम्मान दिया है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21 सदी में विश्व का नेतृत्व भारत करेगा और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह सफल हो रहा है। नारी वंदन और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना ही सृष्टि में सम्मान दिलाता है। इस देश से ही विश्व का मार्गदर्शन पूर्व में भी हुआ था और भविष्य में भी होगा। कार्यक्रम के संबोधन में कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि अपने राज्यपाल महोदय ने गोवा को स्वतंत्र कराने की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई है। अपने राज्य में राज्यपाल बनते ही शिक्षा में गुणात्मक सुधार पर लगातार कार्य कर रहे हैं। संस्था में महापुरुषों के आगमन से निकलने वाली आभा से ही संस्था का विकास होता है। अपने संस्था द्वारा राज्य के शैक्षणिक व्यवस्था में परिवर्तन हेतु सहयोग कर रहा हूं। जब जब राष्ट्र पर संकट हुई गुरुओं ने अपने शिष्यों को खड़ा किया जो राष्ट्र के विकास में सहभागी बने। मेरी यह अपील है किअन्य देश से आए हुए प्रतिभागी भी हमारे देश में महिलाओं के प्रति सम्मान के भाव को अपने देश ले जाएं। गौरतलब हो कि कार्यक्रम का शुभारंभ महामहिम राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, विशिष्ट अतिथि उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, विश्व विद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा. डी पी सिंह, कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.महेंद्र कुमार सिंह, सचिव गोविंद नारायण सिंह, प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह, आयोजन समिति अध्यक्ष मोनिका सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस क्रम में सभी आगत अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र से स्वागत किया गया तथा राष्ट्रगान से कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई।
कार्यक्रम में कई देशों से आए प्रतिभागी के अलावा आयोजन समिति के पदाधिकारी गण, विभिन्न कार्यों में लगे समन्वयक गण, सभी संकाय के प्राचार्य, अध्यक्ष एवं निदेशक व शिक्षक गण उपस्थित रहे।