NEWSPR DESK- गया, बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जिसकी अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है तथा कृषि के लिए सिंचाई एक मुख्य कारक है। इस संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा असिंचित क्षेत्रों के लिए कृषकों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सात निश्चय-2 अन्तर्गत “हर खेत तक सिंचाई का पानी ” योजना क्रियान्वित करायी जा रही है। “हर खेत तक सिंचाई का पानी” योजना के तहत पांच विभागों द्वारा संयुक्त रूप से सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें असिंचित क्षेत्रों में 21274 स्थलों का चयन किया गया है। इस सर्वेक्षण के उपरांत निजी नलकूप हेतु 18747, सामुदायिक नलकूपों की मरम्मति हेतु 1646 एवं डगवेल हेतु 881 स्थल चिन्हित किये गये हैं।
यह योजना केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा चिन्हित अतिदोहित एवं संकटपूर्ण (Over Exploited and Critical) प्रखंड/ पंचायत को छोड़कर असिंचित क्षेत्रों में उस भूमि पर लागू होगी जो भूमि निजी नलकूप अधिष्ठापन के लिए सात निश्चय-2 “हर खेत तक सिंचाई का पानी अन्तर्गत तकनीकी सर्वेक्षण में चिन्हित हो अथवा अनुदेश के अनुरूप उपयुक्त हो।
*1. निजी नलकूप योजना की मुख्य विशेषतायें यह है कि:-*
(i) प्रस्तावित योजना के अन्तर्गत कम (शैलो) एवं मध्यम गहराई के 70 मी0 तक के निजी नलकूपों एवं मोटर पम्प के लिए अनुदान का प्रावधान है।
(ii) योजना के मुख्य अवयव हैं कि :-
4-6 इंच व्यास का कम (शैली) एवं मध्यम गहराई का नलकूप होगा।
2-5 अश्वशक्ति का सबमर्सिबल मोटर पम्प सेन्ट्रीफ्यूगल मोटर पम्प होगा।
*2. अनुदान हेतु पात्रता :-*
सात निश्चय -2 “हर खेत तक सिंचाई का पानी अन्तर्गत संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण के उपरांत चिन्हित स्थलों के एवं अन्य असिंचित क्षेत्रों के कृषक इसके पात्र होंगे।
केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा चिन्हित अतिदोहित एवं संकटपूर्ण (Over Exploited and Criticaly) प्रखंड / पंचायतों से प्राप्त आवेदनों को या इनमें चिन्हित स्थलों को नलकूप अधिष्ठापन हेतु विचार नहीं किया जायेगा ।
वैसे प्रगतिशील एवं इच्छुक कृषक जिनके पास कम से कम 0.40 एकड़ ( 40 डिसमिल ) का भू-खण्ड हो इसके पात्र होंगे, जिसमें लघु व सीमांत कृषकों को प्रथमिकता दी जायेगी।
*इस योजना के तहत सामान्य वर्ग के किसानों को 50% अनुदान, पिछड़ा/ अति पिछड़ा वर्ग के किसानों को 70% अनुदान एवं अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 80% अनुदान का लाभ मिलेगा*
3. आवेदन की प्राप्ति व जांच :-
(a) विभागीय मोबाईल एप व वेब पोर्टल पर सात निश्चय – 2 “हर खेत तक सिंचाई का पानी अन्तर्गत तकनीकी दल द्वारा सर्वेक्षित स्थल हेतु आवेदन लघु जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता / सहायक अभियंता द्वारा चिन्हित स्थल पर प्राप्त किया जायेगा, जिसमें विहित प्रपत्र में कृषक के निजी विवरण के साथ फोटो एवं वांछित अभिलेख पोर्टल पर अपलोड करने हेतु लिये जायेंगे।
(b) अन्य असिंचित क्षेत्र हेतु कृषक विभागीय पोर्टल पर आवेदन स्वीकृति हेतु स्वयं अपलोड करेंगे। उन्हें भी वांछित विवरण की प्रविष्टि करनी होगी एवं वांछित अभिलेख पोर्टल पर अपलोड करने होंगे।
(c) आवेदन के साथ संलग्न करने वाले अभिलेख :-
(i) उक्त स्थल पर पूर्व से बोरिंग न हो तथा उक्त स्थल पर बोरिंग हेतु पूर्व में कृषि विभाग से अनुदान या अन्य संस्था / विभाग से वित्तीय सहायता न ली हो। इस संदर्भ में आवश्यक घोषणा पत्र कृषक को देना होगा।
(ii) आधार (भुगतान आधार आधारित होगा)
(iii) भू-धारकता प्रमाण पत्र
(iv) सक्षम प्राधिकार से निर्गत जाति प्रमाण पत्र
(v) फोटोग्राफ (सर्वेक्षित स्थल पर अक्षांश एवं देशांतर के साथ) जिसमें कनीय अभियंता / सहायक अभियंता कृषि सलाहकार / कृषि समन्वयक / संबंधित लाभुक कृषक एवं उपस्थित ग्रामीण को सम्मिलित किया जाय।
*(d) आवेदन स्वीकृति के क्रम में :-*
पूर्व से सर्वेक्षित स्थलों पर आवेदन लेने के लिए जाने वाले कनीय अभियंता / सहायक अभियंता स्थल निरीक्षण एवं आवेदन की जांच की प्रक्रिया करेंगे अन्य प्राप्त आवेदनों पर कार्यपालक अभियंता अपने कनीय अभियंता / सहायक अभियंता से प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण एवं आवेदन की जांच करायेंगे। कनीय अभियंता/ सहायक अभियंता जो निरीक्षण व जांच करेंगे उसमें पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जायेगी तथा प्रतिवेदन विहित प्रपत्र में पोर्टल पर अपलोड किया जायेगा।
*4. आवेदन स्वीकृति की प्रक्रिया :-*
● कार्यपालक अभियंता अपने कनीय अभियंता / सहायक अभियंता से प्रस्तावित स्थल का निरीक्षण व आवेदन की जाँच करायेंगे।
● सहायक अभियंता किसान के आवेदन पत्र को कनीय अभियंता की अनुशंसा के आलोक में पोर्टल पर अग्रसारित या अस्वीकृत करेंगे। पूर्व से चिन्हित / सर्वेक्षित क्षेत्रों में अस्वीकृति की स्थिति में सहायक अभियंता स्थल का अवश्य निरीक्षण करेंगे।
●कार्यपालक अभियंता द्वारा कनीय अभियंता एवं सहायक अभियंता की अनुशंसा के आलोक में आवेदन की स्वीकृति के उपरांत किसान को System Generated SMS एवं कार्यालय के द्वारा दूरभाष के माध्यम से सूचना दी जायगी। स्वीकृति पत्र विहित प्रपत्र में कम्प्यूटर द्वारा स्व-जनित होगा।
*अनुदान की स्वीकृति*
कार्यपालक अभियंता द्वारा अनुदान भुगतान हेतु सभी अभिलेखों की यथोचित जांच कर सही पाय जाने पर अनुदान हेतु अनुमोदित कर संबंधित अधीक्षण अभियंता को पोर्टल के माध्यम से अग्रसारित किया जायेगा। अधीक्षण अभियंता पोर्टल के माध्यम से ही मुख्य अभियंता को अग्रसारित करेंगे। मुख्य अभियंता, विभागीय नोडल पदाधिकारी को भुगतान हेतु पोर्टल के माध्यम से अनुशंसा करेंगे। उसके पश्चात् भुगतान की कार्रवाई विभाग द्वारा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direet Benefit Transfer) के माध्यम से सीधे लाभुक के आधार युक्त खाते में की जायेगी।
अतः भुगतान आधार आधारित होगा। अनुदान की स्वीकृति के उपरांत संबंधित कृषक को System Generated SMS / दूरभाष के माध्यम से सूचना दी जायेगी।
*हर खेत तक सिचाई का पानी कार्यक्रम के अंतर्गत गया जिले में* जिला स्तरीय पदाधिकारी द्वारा टीम गठित कर सभी पंचायतो में सर्वे करवाया गया जिसमें अतरी में 9 नलकूप, बाकेबजार में 81, बेला में 1, बोधगया में 4, डोभी में 121, फतेहपुर में 41, गया सदर मे 4, गुरुआ में 83, खिजर सराय में 1, कोच में 14, मोहरा में 45, नीमचक बथानी में 20, परैया में 10, शेरघाटी में 1, टनकुप्पा में 1, टेकारी में 1 एवं वजीरगंज में 6 नलकूप लगाने हेतु सर्वे किया गया है। इसमें कुल 226 निजी नलकूप लगवाए जा रहे हैं, इन सभी का एलपीसी अंचलाधिकारी द्वारा निर्गत कर दी जा चुकी है। इसके पश्चात उक्त एलपीसी को ऑनलाइन सत्यापन किया जाना है। विभागीय पोर्टल पर 193 नलकूप का एलपीसी उपलोड भी किया जा चुका है।
आज समाहरणालय सभागार में आयोजित बैठक में ज़िला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम ने कार्यपालक अभियंता लघु सिचाई को निर्देश दिया कि किसानों को जागरूक करते रहे। किसानों को इस योजना के बारे में बताया करे। डीएम ने कहा कि शेष बचे 217 नलकूपों के लिये संबंधित अंचलाधिकारी एलपीसी निर्गत करने में तेजी लाये ताकि अगले 7 दिनों में किसानों के एलपीसी को 100% ऑनलाइन करवाया जा सके। लघु सिंचाई के सभी कनीय अभियंता लगातार फील्ड में रह कर किसानों को जागरूक एव मदद करे।
बैठक में अपर समाहर्ता राजस्व, ज़िला पंचायत राज पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्ता सुश्री आशना, कार्यपालक अभियंता लघु सिंचाई, सभी सहायक अभियंता लघु सिचाई सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।