बिहार में अब छात्र स्कूल में जंक फूड लेकर नहीं जा सकेंगे, और विद्यालय के 50 मीटर के दायरे में भी जंक फूड की बिक्री पर पाबंदी होगी। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इसके तहत एक नया टूल विकसित किया गया है, जिसकी मदद से यह पता चल सकेगा कि छात्रों के टिफिन में जंक फूड तो नहीं है।
इस टूल का नाम ‘कोबो टूल्स’ है, जो विद्यार्थियों के भोजन की गुणवत्ता और पोषण की निगरानी करेगा।इस टूल का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा कि बच्चे जंक फूड का सेवन न करें और स्कूलों में मिड डे मिल की गुणवत्ता पर भी नजर रखी जाएगी। इसके माध्यम से यह जानकारी मिलेगी कि कितने बच्चे जंक फूड लेकर आ रहे हैं और स्कूल के आस-पास इसकी बिक्री हो रही है या नहीं।शिक्षा विभाग और यूनिसेफ ने मिलकर कोबो टूल्स विकसित किया है, और इसका लिंक सभी जिलों को प्रदान किया गया है।
इसके जरिए मिड डे मिल के स्वाद, सफाई, पोषण वाटिका की स्थिति और रसोइयों की सफाई की जानकारी भी अपलोड की जाएगी। साथ ही, छात्रों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिए जाने वाले पोषण संबंधी गोलियों की जानकारी भी इस टूल पर दर्ज होगी।हर जिले में किए गए मूल्यांकन की मासिक और त्रैमासिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें जिलों की रैंकिंग भी शामिल होगी। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और पोषक भोजन मिल रहा है, और पोषण मानकों का पालन हो रहा है या नहीं।साथ ही, निरीक्षण के दौरान भोजन तैयार करने से लेकर परोसने तक की हर प्रक्रिया का ब्योरा भी इस टूल के माध्यम से दिया जाएगा, जैसे कि चावल धोने या दाल-चावल पकाने के समय की जानकारी। इस पूरे कदम का उद्देश्य बच्चों को कुपोषण से बचाना और उन्हें पौष्टिक भोजन मुहैया कराना है।