सीवान जिले में प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे मील (एमडीएम) योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए शिक्षा विभाग ने बड़ा बदलाव किया है। अब इस योजना की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों (एचएम) की बजाय अन्य शिक्षकों को दी जाएगी। इस बदलाव के तहत एचएम अब पूरी तरह से स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
सभी जिलों को इस बाबत निर्देश जारी कर दिए गए हैं।डीपीओ एमडीएम जय कुमार के अनुसार, योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रधानाध्यापक को एमडीएम जैसे प्रशासनिक कार्यों से मुक्त कर शिक्षा की गुणवत्ता पर फोकस करने का मौका मिले। इसके लिए बैंक खाता संचालन का कार्य विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव और नामित एमडीएम प्रभारी शिक्षक द्वारा किया जाएगा।चयनित शिक्षक ई-शिक्षाकोष के माध्यम से मुख्यालय स्तर से चुने जाएंगे।
इन शिक्षकों को तीन घंटियों तक अध्यापन कार्य की अनुमति होगी, बाकी समय वे एमडीएम संचालन की देखरेख करेंगे। वे बच्चों की उपस्थिति का फोटो लेंगे, भोजन की मात्रा तय करेंगे और रसोइयों को सामग्री सौंपेंगे।गुठनी प्रखंड बना पायलट प्रोजेक्टगुठनी प्रखंड को एमडीएम योजना के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। यहां के 87 प्रारंभिक विद्यालयों में 13 मई से 13 जून तक सहायक शिक्षक एमडीएम का संचालन करेंगे।विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्यागुठनी प्रखंड में कुल 14,688 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं, जिनमें से 9006 प्राथमिक और 5682 मध्य विद्यालयों में पढ़ते हैं। मार्च महीने में 1,53,372 छात्रों ने एमडीएम का लाभ लिया। योजना पर करीब 12.17 लाख रुपये का खर्च आया, जिसमें फल और अंडे पर 82,515 रुपये खर्च हुए।बीआरपी एमडीएम कन्हैया कुमार के अनुसार, एमडीएम भोजन 70–75% उपस्थिति के औसत के आधार पर तैयार किया जाता है।यह बदलाव शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और एमडीएम योजना को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।