बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं के मूल्यांकन में दो प्रमुख मानकों — मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर — को विशेष रूप से देखा जाता है। इन दोनों मानकों में बिहार ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय सुधार किया है।स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि 2005 में राज्य की मातृ मृत्यु दर 374 प्रति एक लाख प्रसव थी, यानी हर एक लाख महिलाओं में 374 की मौत हो जाती थी।
लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं और प्रयासों की बदौलत यह आंकड़ा 2021 तक घटकर 118 पर आ गया।अब, SRS (सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की मातृ मृत्यु दर और घटकर 100 तक पहुंच गई है। हालांकि यह अभी भी राष्ट्रीय औसत 93 से थोड़ा अधिक है, लेकिन सुधार की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि बिहार देश में असम के बाद दूसरे स्थान पर है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक इस दर को 70 तक लाया जाए।सिर्फ मातृ मृत्यु दर ही नहीं, बल्कि शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। अब यह दर घटकर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 27 रह गई है, जो पहले की तुलना में काफी बेहतर स्थिति को दर्शाती है.