भागलपुर अभियंत्रण महाविद्यालय में सी-डैक के प्रशिक्षण केंद्र का हुआ उद्घाटन

Patna Desk

भागलपुर अभियंत्रण महाविद्यालय (DCE) , भागलपुर में 3डी प्रिंटिंग एवं एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित एक उन्नत प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन किया गया। यह केंद्र भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा वित्त पोषित फिनिशिंग स्कूल प्रोग्राम के अंतर्गत सी-डैक, कोलकाता के सहयोग से स्थापित किया गया है, जिसमें विज्ञान, प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, बिहार सरकार की महती भूमिका रही है। उक्त आधुनिक तकनीकी केंद्र के रूप में पूरे बिहार राज्य में भागलपुर अभियंत्रण महाविद्यालय के अलावे एन०आई०टी पटना एवं दरभंगा अभियंत्रण महाविद्यालय को भी चयनित किया गया है।

इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) ओम प्रकाश राय ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में सी-डैक, कोलकाता के मुख्य अन्वेषक असित कुमार सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। इस उद्घाटन कार्यक्रम का समन्वय कंप्यूटर साइंस विभागाध्यक्ष डॉ. राज अन्वित द्वारा किया गया।कार्यक्रम के दौरान प्रो. दीपो महतो, प्रो. पुष्पलता, और प्रो. काशीनाथ राम सहित संस्थान के कई वरिष्ठ शिक्षकों ने भी अपने विचार साझा किए और छात्रों को इस तकनीक में प्रवीण बनने हेतु प्रेरित किया। इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ ओम प्रकाश राय ने जानकारी देते हुए बताया कि 3डी प्रिंटिंग, जिसे एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग भी कहा जाता है, आज के युग की एक अत्यंत उन्नत एवं परिवर्तनकारी तकनीक है।

यह तकनीक पारंपरिक निर्माण पद्धतियों से हटकर एक नई सोच प्रस्तुत करती है, जहाँ डिजाइन से सीधे वस्तुओं का निर्माण डिजिटल फॉर्मेट में करते हुए वास्तविक भौतिक रूप में परिवर्तित किया जाता है। यह न केवल उत्पाद विकास में लगने वाले समय और लागत को घटाता है, बल्कि निर्माण की सटीकता और जटिलता को भी बहुत हद तक बढ़ा देता है।कार्यक्रम के अंत में प्रो. ऋषिकेश चौधरी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। उन्होंने MeitY, सी-डैक कोलकाता, कॉलेज प्रशासन, समस्त शिक्षकगण, आयोजन टीम और छात्रों को इस सफल आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद दिया।इस केंद्र की स्थापना भागलपुर सहित पूरे बिहार के तकनीकी छात्रों और नवाचार के इच्छुक युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह पहल न केवल क्षेत्रीय विकास में सहायक होगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक सशक्त कदम साबित होगी।

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