कल, 15 जून को बाबा नीम करौली महाराज के पावन कैंची धाम में स्थापना दिवस का भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस मौके पर उत्तराखंड स्थित इस धार्मिक स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है। आयोजकों के अनुसार, लगभग 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए यहां पहुंच सकते हैं।इस महत्वपूर्ण अवसर के लिए तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर प्रसाद वितरण तक सभी व्यवस्थाओं को सुचारू और भव्य बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
कैंची धाम का मेला हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होता है, क्योंकि नीम करौली बाबा को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है।यहां मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा से प्रार्थना करता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। स्थापना दिवस के मौके पर मंदिर में विशेष पूजा-पाठ, भंडारा और भक्ति संगीत जैसे आयोजन होते हैं, जिनमें देश-विदेश से श्रद्धालु भाग लेते हैं।इस बार मंदिर प्रशासन ने खास व्यवस्था की है ताकि किसी भी श्रद्धालु को प्रसाद से वंचित न रहना पड़े। 15 जून के अलावा 16 और 17 जून को भी मालपुए का प्रसाद वितरित किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु तीनों दिनों तक बाबा के दर्शन के साथ-साथ प्रसाद का लाभ उठा सकेंगे।
नीम करौली बाबा कौन थे?
नीम करौली बाबा 20वीं सदी के एक महान संत माने जाते हैं, जिनकी दिव्यता और भक्तों के प्रति प्रेम उन्हें विशेष बनाता है। उनका जन्म लगभग 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था और उनका बचपन का नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था।बचपन से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और हनुमान जी के परम भक्त रहे। उन्होंने जीवन में कई नामों से ख्याति पाई, जैसे लक्ष्मण दास, तिकोनिया बाबा, तलैया बाबा, लेकिन “नीम करौली बाबा” नाम से वे सबसे प्रसिद्ध हुए।महज 11 साल की उम्र में उनका विवाह हो गया था, लेकिन जल्दी ही उन्होंने सांसारिक जीवन से विरक्ति ले ली। हालांकि बाद में उन्होंने गृहस्थ जीवन अपनाया, फिर भी उनका मन भक्ति और साधना में ही रमा रहा।नीम करौली बाबा की आध्यात्मिक शिक्षाएं और जीवन आज भी लाखों श्रद्धालुओं को प्रेरणा देते हैं। कैंची धाम में हर साल होने वाला यह आयोजन उनकी दिव्य उपस्थिति का जीवंत प्रमाण है।