भारतीय रेलवे द्वारा 1 जुलाई से लागू किए गए तत्काल टिकट बुकिंग के नए नियम का असर महज 24 घंटे में दिखने लगा है। उत्तर प्रदेश और बिहार के रूट पर चलने वाली कई ट्रेनों में अब तक हमेशा फुल रहने वाली तत्काल टिकट की सीटें खाली नजर आ रही हैं। यात्रियों ने इस बदलाव को सोशल मीडिया के ज़रिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव तक पहुंचाया और खुद ही नए नियम के फायदों की जानकारी दी।
अब आम यात्रियों को मिल रही राहत
जहां पहले दिल्ली से बिहार, बनारस और लखनऊ जाने वाली ट्रेनों में बुकिंग खुलते ही कुछ ही मिनटों में तत्काल कोटे की सीटें भर जाती थीं, वहीं अब ये सीटें बुकिंग खुलने के काफी देर बाद तक भी उपलब्ध हैं। आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर भी इन ट्रेनों में सीटों की उपलब्धता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। यह बदलाव आम यात्रियों के लिए राहत लेकर आया है, जो अब पहले से ज़्यादा आसानी से तत्काल टिकट बुक कर पा रहे हैं।
आधार ऑथेंटिकेशन हुआ जरूरी
रेलवे द्वारा 1 जुलाई से तत्काल टिकट बुकिंग के लिए आधार आधारित प्रमाणीकरण को अनिवार्य कर दिया गया है। इसका उद्देश्य दलालों और एजेंटों द्वारा किए जा रहे बड़े पैमाने पर टिकटों की फर्जी बुकिंग पर रोक लगाना है। अब आधार से वेरिफिकेशन के बिना कोई भी तत्काल टिकट बुक नहीं किया जा सकता।
एजेंटों की ‘मोनोपॉली’ पर ब्रेक
पहले एजेंट बड़ी संख्या में टिकटें बुक कर लेते थे, जिससे आम यात्रियों को टिकट मिलना बेहद मुश्किल हो जाता था। लेकिन अब आधार ऑथेंटिकेशन की बाध्यता के चलते ऐसे फर्जीवाड़े पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है। नए सिस्टम के तहत टिकट बुकिंग की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बन गई है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यात्रियों द्वारा साझा किए गए अनुभवों को रीपोस्ट करते हुए कहा कि “लोग खुद ही बता रहे हैं कि कैसे नए नियम ने उन्हें तत्काल टिकट की दौड़ में असली हकदार बना दिया।”