बिहार में इस साल का मानसून उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। राज्य भर में बारिश की गतिविधियां लगभग ठप हो चुकी हैं, जिससे गर्मी फिर से अपने चरम पर पहुंच गई है। सोमवार को गोपालगंज में अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जिससे जुलाई के महीने में भी मई जैसी तपिश महसूस की जा रही है।
राज्य में सामान्य से 46% कम बारिश
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक बिहार में 46 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है। इस कारण 20 जिले सूखे जैसी गंभीर स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां 50% से लेकर 89% तक बारिश की कमी दर्ज की गई है। इसके उलट, केवल चार जिले ही ऐसे हैं जहां बारिश सामान्य के आसपास रही है। गया जिला अकेला ऐसा क्षेत्र है, जहां सामान्य से 32% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है।
फिर चढ़ेगा पारा, गर्मी बढ़ेगी
मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अगले तीन दिनों में तापमान में 2 से 3 डिग्री तक की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि मंगलवार को गया, नवादा और पूर्वी बिहार के कुछ अन्य जिलों में आकाशीय बिजली और हल्की बारिश की संभावना जताई गई है, लेकिन इसका असर सीमित रहेगा। बाकी जिलों में मौसम शुष्क और गर्म बना रहेगा, और तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा सकता है।
मानसून की धार कमजोर, ट्रफ लाइन खिसकी
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून की मुख्य ट्रफ लाइन दक्षिण की ओर सरक गई है, जिससे बिहार में बारिश की स्थिति और बिगड़ गई है। अब राज्य में ड्राई स्पेल यानी सूखे का दौर शुरू हो चुका है, जो कब तक चलेगा यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है।
कृषि पर संकट, किसान परेशान
इस मानसून की विफलता ने सबसे ज्यादा असर कृषि कार्यों पर डाला है। राज्य के कई हिस्सों में धान की रोपनी जैसे महत्वपूर्ण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सके हैं, जिससे किसानों में चिंता गहराने लगी है।
बाढ़ की आशंका की जगह सूखा बना चुनौती
आमतौर पर जुलाई और अगस्त के महीने बाढ़ की संभावना लेकर आते हैं, लेकिन इस बार स्थिति उलट गई है। 20 जिले सूखे से प्रभावित हैं और 18 अन्य जिलों में से 14 जिलों में औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है।
राज्य में मानसून की कमजोर चाल ने जहां आम लोगों को कड़ी गर्मी में झोंक दिया है, वहीं खेती-किसानी की दिशा में भी गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई, तो खेती और खाद्य सुरक्षा दोनों पर असर पड़ सकता है।