बिहार पुलिस मुख्यालय ने विभागीय अनुशासन और पेशेवर छवि को बरकरार रखने के लिए महिला पुलिसकर्मियों पर ड्यूटी के दौरान भारी-भरकम आभूषण और श्रृंगार की चीजें पहनने पर पाबंदी लगाने का बड़ा फैसला लिया है। आदेश के तहत अब महिला कर्मी ड्यूटी के वक्त झुमका, नथ, चूड़ियां, कंगन, मंगलसूत्र और अन्य चमकदार गहने नहीं पहन सकेंगी।
वर्दी की गरिमा से कोई समझौता नहीं
मुख्यालय से जारी आधिकारिक निर्देश में कहा गया है कि कई महिला पुलिसकर्मी ड्यूटी पर रहते हुए जरूरत से ज्यादा सजधज में नजर आती हैं, जो पुलिस बल की साख और अनुशासन के खिलाफ है। यह मुद्दा 23 जून 2025 को हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में डीजीपी स्तर पर गंभीरता से उठाया गया था। इसके बाद 27 जून को कार्मिक एवं कल्याण प्रभाग की ओर से इसका औपचारिक आदेश जारी किया गया और सभी जिलों को भेजा गया है।
“पुलिस ड्यूटी है, कोई फिल्मी शूटिंग नहीं”
आदेश में सख्त लहजे में कहा गया है कि पुलिस ड्यूटी फिल्मी सेट नहीं है जहां ‘झिलमिल अंदाज’ चलता हो। यहां वर्दी की मर्यादा है, और काम की भाषा में ‘एफआईआर’, ‘हथकड़ी’, ‘चार्जशीट’ जैसे शब्दों की अहमियत है – न कि ‘झुमका गिरा रे’ जैसी अदा की।
पारिवारिक जीवन नहीं, सिर्फ ड्यूटी पर बैन
अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) ने स्पष्ट किया है कि यह नियम महिला कर्मियों की निजी या पारिवारिक स्वतंत्रता पर रोक नहीं है, बल्कि केवल ड्यूटी के समय लागू रहेगा। इसका मकसद वर्दी में उनकी पेशेवर छवि को बनाए रखना है, जिससे पुलिस की पहचान ‘डंडे और दायित्व’ से बनी रहे, न कि ‘श्रृंगार और सजावट’ से।
‘जीरो टॉलरेंस’ के साथ होगा नियम का पालन
इस निर्देश की प्रतियां डीजी, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस, सभी एडीजी, आईजी, डीआईजी और जिला एसपी को भेजी गई हैं। सभी अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि निर्देश का कड़ाई से पालन हो और किसी तरह की लापरवाही पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए।
नियम सख्त, लेकिन मंशा स्पष्ट
यह निर्णय न केवल बिहार पुलिस की आंतरिक छवि को अनुशासित और मजबूत बनाएगा, बल्कि आम जनता के बीच भी पुलिस की भूमिका को लेकर एक गंभीर और जिम्मेदार छवि स्थापित करेगा। यह कदम वर्दीधारी सेवा को ‘दिखावे से दूर, ड्यूटी के प्रति समर्पित’ बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।