मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष कोशिशों के चलते बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। पिछले तीन-चार वर्षों में तीन लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति होने से राज्य के स्कूलों की तस्वीर बदल रही है।
छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) में बड़ा सुधार
शिक्षकों की बड़ी संख्या में बहाली से छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) में जबरदस्त गिरावट आई है। वर्तमान में बिहार में यह अनुपात घटकर प्रति शिक्षक 28 छात्र हो गया है। यह औसत आंकड़ा कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के लिए है।
राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन
अगर राष्ट्रीय औसत से तुलना करें, तो प्राथमिक कक्षाओं (1-5) में प्रति शिक्षक 40 छात्र और उच्च कक्षाओं (6-12) में प्रति शिक्षक 30 छात्रों का औसत है। लेकिन बिहार इस मामले में अब राष्ट्रीय औसत से आगे निकल गया है।
एनईपी रिपोर्ट में बिहार का प्रदर्शन
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में:
- कक्षा 1 से 5 तक का पीटीआर: 32
- कक्षा 6 से 8 तक का पीटीआर: 19
- कक्षा 9 से 10 तक का पीटीआर: 30
- कक्षा 11 से 12 तक का पीटीआर: 31
- समेकित औसत (कक्षा 1 से 12 तक): 28
इस महत्वपूर्ण जानकारी की पुष्टि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने की है।
2005 से जारी है बहाली की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2005 में सत्ता में आने के बाद से राज्य में शिक्षकों की बहाली लगातार जारी है। इस साल बीपीएससी के माध्यम से बहाल हुए 1.2 लाख शिक्षकों को खुद मुख्यमंत्री ने नियुक्ति पत्र सौंपा। इसके बाद राज्य में कुल शिक्षकों की संख्या लगभग 6.6 लाख हो गई है।
छात्र संख्या भी बड़ी, लेकिन पीटीआर में गिरावट बनी
राज्य के सरकारी स्कूलों में फिलहाल 2 करोड़ 13 लाख 48 हजार छात्र नामांकित हैं। इतनी बड़ी संख्या के बावजूद पीटीआर को नियंत्रण में रखना राज्य सरकार की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
10 वर्षों में शानदार बदलाव
वर्ष 2015-16 में जहां प्रारंभिक स्कूलों में प्रति शिक्षक 89 छात्र हुआ करते थे, वहीं 2020-21 में यह औसत घटकर 47 हो गया। उस समय प्राथमिक स्कूलों में पीटीआर 57, उच्च प्राथमिक में 21, माध्यमिक में 52 और उच्च माध्यमिक स्कूलों में 60 था। अब यह अनुपात राष्ट्रीय स्तर से बेहतर हो गया है।
भविष्य में और सुधार की उम्मीद
राज्य सरकार का दावा है कि आने वाले महीनों में और शिक्षकों की नियुक्ति के बाद यह अनुपात और बेहतर होगा। हाल में नियुक्त हुए शिक्षकों की सेवा में शामिल होने के बाद बिहार की शिक्षा प्रणाली को और मजबूती मिलेगी।