पटना, जुलाई 2025:बिहार सरकार ने जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को लेकर नई और सख्त व्यवस्था लागू कर दी है। अब निर्धारित समय-सीमा में रजिस्ट्रेशन न कराने पर विलंब शुल्क के साथ शपथपत्र और दस्तावेजों की अनिवार्यता तय की गई है।यह नई व्यवस्था जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1969, संशोधित अधिनियम 2023, और बिहार जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन नियमावली 1999 के 2025 में हुए संशोधन के तहत प्रभाव में लाई गई है।
21 दिनों में आवेदन अनिवार्य, वरना देरी पर देना होगा शुल्क-
यदि कोई नागरिक 21 दिनों के भीतर संबंधित रजिस्ट्रार को जन्म या मृत्यु की जानकारी देता है और आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करता है, तो नि:शुल्क पंजीकरण किया जाएगा।लेकिन तय समयसीमा के बाद आवेदन करने पर यह शुल्क लागू होगा:21 से 30 दिनों के भीतर आवेदन पर: ₹20 विलंब शुल्क30 दिन से 1 वर्ष के भीतर आवेदन पर: ₹50 शुल्क और जांच प्रक्रिया1 वर्ष के बाद आवेदन पर: ₹100 शुल्क, शपथपत्र व अतिरिक्त प्रमाण दस्तावेज अनिवार्ययह नियम शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में समान रूप से लागू होगा।
आवेदन प्रक्रिया और दस्तावेज की सूची-
जन्म प्रमाणपत्र के लिए आवश्यक दस्तावेज:भरी हुई जन्म सूचना रिपोर्टमृत्यु प्रमाणपत्र के लिए:मृत्यु का कारणअस्पताल में मृत्यु होने पर मेडिकल सर्टिफिकेटगैर-संस्थागत मृत्यु के लिए: शपथपत्र में तिथि और स्थान की पुष्टिसाक्ष्य के रूप में मान्य दस्तावेज:पोस्टमार्टम रिपोर्टएफआईआरकोर्ट आदेशआधार/पैन/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंसस्कूल सर्टिफिकेट, सेवा पुस्तिका आदि की स्व-अभिप्रमाणित प्रतिअब “स्टिल बर्थ” यानी मृत जन्म की घटनाओं को भी पंजीकरण प्रक्रिया में सम्मिलित किया गया है।
पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और नागरिकों को राहत-
जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस.एम. ने बताया कि यह व्यवस्था 16 जून को अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की अधिसूचना के बाद से लागू हो गई है। अब 30 दिन से अधिक की देरी पर, आवेदन को पंचायत सचिव जांच कर प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के माध्यम से जिला सांख्यिकी पदाधिकारी तक भेजेंगे।प्रारूप-14 के तहत आवेदनकर्ता को 30 दिन से 1 वर्ष के भीतर आवेदन करने पर स्व-अभिप्रमाणित सूचना दस्तावेज भी देना होगा। एक वर्ष के बाद आवेदन करने पर शपथपत्र व ₹100 शुल्क अनिवार्य होगा।
—सरकार का उद्देश्य – समय पर प्रमाणपत्र और बेहतर जनसांख्यिकीय डेटाप्रशासन का मानना है कि इस नई प्रणाली से जन्म और मृत्यु की सूचना प्रणाली अधिक सटीक और पारदर्शी होगी। साथ ही नागरिकों को समय पर प्रमाणपत्र प्राप्त करने में सहूलियत मिलेगी, जिससे शैक्षणिक, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सरकारी सेवाओं के लिए प्रमाणपत्र का उपयोग आसान होगा।