पटना/चंदौली: बिहार पुलिस के सिपाही अब पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर, अनुशासित और दक्ष नजर आएंगे। इन्हें अब सेना के कमांडो की तर्ज पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए बिहार सरकार और सीआरपीएफ के बीच आपसी सहमति बन चुकी है। पहली बार 800 नवचयनित सिपाहियों को कमांडो जैसी ट्रेनिंग दी जाएगी, जो 21 जुलाई 2025 से सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर, चकिया (चंदौली) में शुरू होगी।
44 सप्ताह की ट्रेनिंग में मिलेगा आधुनिक सुरक्षा का पाठ
सिपाहियों को 44 हफ्तों की इस गहन प्रशिक्षण अवधि में पारंपरिक पुलिस प्रशिक्षण के साथ-साथ आधुनिक आंतरिक सुरक्षा और युद्धक तकनीकों की जानकारी भी दी जाएगी। ट्रेनिंग में आतंकियों से मुकाबला, दंगा नियंत्रण, आपदा प्रबंधन, जंगल युद्ध, भीड़ नियंत्रण और वीआईपी सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलू शामिल होंगे।
कमांडो की तरह बनेंगे फिजिकली और मेंटली फिट
प्रशिक्षण के दौरान जवानों को INSAS राइफल, AK-47, कार्बाइन जैसे अत्याधुनिक हथियारों के संचालन, नेविगेशन गैजेट्स, IED डिफ्यूज़िंग और संचार उपकरणों का व्यावहारिक ज्ञान भी मिलेगा। साथ ही उन्हें तनाव प्रबंधन और आत्मनियंत्रण की ट्रेनिंग भी दी जाएगी ताकि वे हर हालात में संयमित और कुशल बने रहें।
बिहार पुलिस और सीआरपीएफ की ट्रेनिंग में होगा संतुलन
क्योंकि ये सिपाही बिहार पुलिस के नवचयनित जवान हैं, इसलिए इन्हें पुलिस संबंधी कार्यों — जैसे कानून-व्यवस्था बनाए रखना, अपराध नियंत्रण, और केस हैंडलिंग — की भी शिक्षा दी जाएगी। सीआरपीएफ और राज्य पुलिस के कार्यक्षेत्र में अंतर को ध्यान में रखते हुए दोनों का सिलेबस मिलाकर सिपाहियों को तैयार किया जाएगा।
विशेष बल के लिए होंगे उपयोगी
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ये जवान बिहार पुलिस के विशेष बलों में तैनात किए जाएंगे, जहाँ इनकी भूमिका नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद और संगठित अपराध जैसी जटिल चुनौतियों से निपटने में होगी। इससे राज्य की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।
सीआरपीएफ डीआईजी ने दी जानकारी
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर चकिया के डीआईजी आर.के. सिंह ने बताया कि इस विशेष प्रशिक्षण की पूरी तैयारी कर ली गई है। सिपाहियों को ना सिर्फ युद्धक स्तर पर मजबूत बनाया जाएगा, बल्कि उन्हें अनुशासन, टीमवर्क और प्रोफेशनलिज्म की भी कड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी।