बिहार में रेल विकास की कहानी अब नई ऊँचाइयों को छूने जा रही है। पूर्व मध्य रेलवे के छपरा ग्रामीण से कटिहार तक फैले करीब 311 किलोमीटर लंबे मार्ग पर तीसरी और चौथी रेल लाइन बिछाने की ऐतिहासिक योजना को लेकर तैयारियां तेज़ हो गई हैं। इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनकर तैयार हो चुकी है, जिसकी अनुमानित लागत करीब 8600 करोड़ रुपये बताई गई है। रिपोर्ट को अंतिम स्वीकृति के लिए रेलवे बोर्ड को जल्द ही भेजा जाएगा।गुरुवार को पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक और विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों ने इस परियोजना रिपोर्ट की गहन समीक्षा की।
बैठक में कई महत्वपूर्ण सुझाव भी सामने आए, जिनसे इस योजना को और अधिक व्यवहारिक व सशक्त बनाने की दिशा में पहल की गई। यह रेल लाइन देश के उच्च घनत्व वाले रूट (High Density Network) का हिस्सा होगी, जो दिल्ली से गुवाहाटी तक की अहम लाइफलाइन मानी जाती है।इस व्यस्त रूट पर तीसरी और चौथी लाइन के निर्माण से रेल यातायात पर दबाव कम होगा और ट्रेनों की रफ्तार के साथ-साथ समयबद्धता भी सुनिश्चित होगी। यात्रियों को ट्रेनों में देरी जैसी परेशानियों से निजात मिलने की उम्मीद है। इस परियोजना से कटिहार, भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर, वैशाली और सारण जैसे जिलों में रेल नेटवर्क का विस्तार होगा और आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी।परियोजना के तहत कोसी और गंडक नदियों पर नए पुलों का निर्माण किया जाएगा।
साथ ही, 21 बड़े और 82 छोटे पुल, तथा 69 समपार फाटकों को हटाकर अंडरपास (LHS) बनाए जाने की योजना है, जिससे सुरक्षा और सुविधा दोनों में सुधार होगा।योजना का दूसरा चरण हाजीपुर-मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर-बछवारा खंड को जोड़ने का है, जबकि बछवारा-बरौनी सेक्शन में काम पहले से ही तेज़ी से चल रहा है।यह परियोजना बिहार को न केवल तेज़ और आधुनिक रेल सेवा प्रदान करेगी, बल्कि राज्य के समग्र आर्थिक परिदृश्य को भी नई ऊँचाइयाँ देगी। अब रेल सिर्फ पटरियों पर नहीं, विकास के पथ पर भी सरपट दौड़ने को तैयार है।