बिहार के डीजीपी विनय कुमार ने कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण में एक नई मिसाल पेश की है। वे पुलिसिंग में अनुसन्धान और अनुशासन को रीढ़ मानते हैं, जिसका असर अब अदालत के फैसलों में साफ झलक रहा है। बिहार पुलिस अब सिर्फ अपराधियों की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं, बल्कि उन्हें अदालत में दोषी ठहराकर सजा दिलाने में देशभर में उदाहरण बन गई है।
गवाहों की 100% पेशी पर जोर
डीजीपी ने बताया कि हत्या, आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर अपराधों के मामलों में गवाहों की समय पर पेशी सुनिश्चित की गई। इसके लिए ऑनलाइन माध्यम का भी सहारा लिया गया। पुलिस मुख्यालय स्तर पर मामलों की सख्त मॉनिटरिंग हो रही है, जिससे केस लंबा न खिंचे और सुनवाई में देरी न हो।
जनवरी–जून 2025 का रिपोर्ट कार्ड
- कुल दोषी ठहराए गए आरोपी: 64,098
- मौत की सजा: 3
- उम्रकैद: 601
- 10 साल से ज्यादा की सजा: 307
- शराबबंदी कानून के तहत जेल भेजे गए: 56,897 (कुल सजा का 89%)
जिलेवार बड़ी सजाएं
- हत्या मामलों में दोषी: 611 (मधुबनी के 2, कटिहार के 1 आरोपी को फांसी)
- उम्रकैद में सबसे आगे: पटना (35), इसके बाद छपरा (34), मधेपुरा (33), शेखपुरा (32), बेगूसराय (31)
- 10 साल से ज्यादा की सजा में सबसे आगे: भोजपुर
- आर्म्स एक्ट: 231
- रेप: 122
- मादक पदार्थ तस्करी: 284
- पॉक्सो एक्ट: 154
- एससी-एसटी एक्ट: 151
लापरवाहों पर कार्रवाई
डीजीपी के अनुसार, जो पुलिस अधिकारी, गवाह, डॉक्टर या अन्य जिम्मेदार लोग कोर्ट में वक्त पर पेश नहीं होते, उन पर भी सख्त कार्रवाई हो रही है। इसी सख्ती की वजह से सजाओं की रफ्तार में तेजी आई है।
शराबबंदी मामलों में सबसे आगे जिले
मोतिहारी, गया, पटना, भोजपुर, छपरा, नालंदा, बक्सर, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, गोपालगंज, सीवान और सुपौल में सबसे ज्यादा केस दर्ज हुए।