बिहार की राजनीति इन दिनों बेहद तेज़ मोड़ पर है। विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को जिस कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने जा रहे हैं, उसे राज्य की भावी राजनीति का “गेम चेंजर” माना जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए जाएंगे, जिनका असर सीधे-सीधे गांवों, कस्बों और मोहल्लों तक महसूस किया जाएगा।स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए संकेत अब नीतिगत फैसलों में बदल सकते हैं। सबसे अहम निर्णय TRE-4 शिक्षक भर्ती परीक्षा में बिहार के युवाओं को प्राथमिकता देने का माना जा रहा है। डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद राज्य के ही अभ्यर्थी आवेदन कर सकेंगे। सूत्रों का कहना है कि 2025 में TRE-4 और 2026 में TRE-5 आयोजित होंगी, जबकि उससे पहले STET परीक्षा करवाई जाएगी ताकि योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिल सके।
इसके अलावा, सरकार लाखों संविदाकर्मियों और योजना-आधारित कर्मचारियों के लिए भी राहत भरा ऐलान कर सकती है। लंबे समय से मानदेय वृद्धि की मांग कर रहे इन कर्मियों के लिए कैबिनेट में ऐतिहासिक फैसला संभव है। अगर प्रस्ताव पारित होता है, तो इससे सरकार की छवि “जन-हितैषी” रूप में और मज़बूत होगी।नीतीश सरकार का लक्ष्य है 2025 तक 12 लाख सरकारी नौकरियां और 34 लाख रोज़गार अवसर उपलब्ध कराना। यदि भर्ती प्रक्रियाओं को गति देने पर सहमति बनती है तो यह सिर्फ़ घोषणा नहीं रहेगी, बल्कि ज़मीनी हकीकत का हिस्सा बन सकती है।गौरतलब है कि पिछली बैठक में भी कई अहम कदम उठाए गए थे—जैसे युवा आयोग का गठन, दिव्यांगजनों को प्रोत्साहन राशि और महिलाओं के लिए 35% आरक्षण। यह दिखाता है कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार पर संतुलित रूप से फोकस कर रही है।हालांकि, विपक्ष इन निर्णयों को चुनावी “लुभावनें पैकेज” बताकर निशाना साधेगा, जबकि सत्ता पक्ष इसे सुशासन की स्वाभाविक परिणति करार देगा। असली सवाल जनता के लिए यही होगा कि क्या ये निर्णय केवल कागज़ तक सीमित रहेंगे या फिर ज़मीन पर उतरकर लोगों की ज़िंदगी बदलेंगे।आगामी कैबिनेट बैठक सिर्फ़ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के लिए चुनावी रणनीति का सार्वजनिक ऐलान साबित हो सकती है।