राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 7480 संविदा कर्मियों की सेवा की समाप्त

Jyoti Sinha

बिहार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग इन दिनों बड़ी चुनौती से गुजर रहा है। विशेष सर्वेक्षण संविदा कर्मियों की हड़ताल ने पूरे विभाग की व्यवस्था चरमरा दी है। 16 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल का असर इतना व्यापक रहा कि तमाम चेतावनियों और अपीलों के बाद भी अधिकांश कर्मचारी काम पर लौटने को तैयार नहीं हुए।7480 कर्मियों की छुट्टी, केवल 3295 लौटे ड्यूटी परविभाग ने सख्त कदम उठाते हुए 7480 संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दीं। 3 सितंबर शाम 5 बजे तक दी गई अंतिम समय-सीमा में केवल 3295 कर्मचारी ही काम पर वापस आए। बाकी हड़ताल पर अड़े रहने वाले कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि लंबे समय से जारी हड़ताल के कारण विभागीय कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ, और बार-बार दिए गए नोटिसों का भी कोई असर नहीं पड़ा।

नई बहाली की तैयारी-

विभाग ने अब नए सिरे से बहाली का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत तक विज्ञापन निकालने की योजना है और चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले पूरी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।

संविदा कर्मियों की मांगें-

हड़ताल कर रहे कर्मियों की मुख्य मांगें थीं—नियमित सेवा में समायोजन और ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा) की सुविधा।

उनका कहना था कि उनसे स्थायी कर्मियों की तरह ही कार्य लिया जा रहा है, लेकिन सुविधाओं और नौकरी की स्थिरता से वंचित रखा जा रहा है।हड़ताल से ठप पड़ा कामकाजकरीब 12,500 से अधिक विशेष सर्वेक्षण कर्मियों की हड़ताल ने विभाग का कामकाज पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। भूमि सर्वेक्षण और राजस्व संबंधी कार्य लगभग रुक गए। यही कारण था कि विभाग पर सख्त कदम उठाने का दबाव बढ़ा और अंततः बड़ी संख्या में कर्मियों की सेवा समाप्त करने का निर्णय लिया गया।

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