बिहार अब सिर्फ कृषि राज्य नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले समय में इसे पूर्वी भारत का इंडस्ट्रियल हब बनाने की तैयारी चल रही है। राज्य सरकार इस दिशा में बड़े कदम उठा रही है ताकि बिहार को नई पहचान मिल सके।
उद्यमियों के लिए आसान प्रक्रियाएँ
राज्य के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने बताया कि नयी औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए कई सुविधाएँ दी जा रही हैं। इसमें ज़मीन आवंटन को सरल करना, सिंगल विंडो सिस्टम, टैक्स में छूट, बेहतर बिजली सप्लाई और आधारभूत ढाँचे की उपलब्धता जैसे प्रावधान शामिल हैं।
निवेशकों का बढ़ा भरोसा
नीतीश मिश्रा ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण, टेक्सटाइल, नवीकरणीय ऊर्जा, आईटी और स्टार्टअप इकोसिस्टम जैसे सेक्टरों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। सड़क, बिजली और पानी जैसी सुविधाओं में हाल के वर्षों में हुई प्रगति ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है।
‘मेक इन बिहार’ को बढ़ावा
मंत्री ने बताया कि स्थानीय स्तर पर उत्पादन और रोजगार बढ़ाने के लिए “मेक इन बिहार” की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा रहा है। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केपीएस केशरी ने भी कहा कि अगर भारत को विकसित राष्ट्र बनना है तो बिहार की तेज़ औद्योगिक प्रगति अनिवार्य है।
उद्योग ने कृषि को पीछे छोड़ा
दिलचस्प बात यह है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में पहली बार उद्योग क्षेत्र का योगदान कृषि से ज्यादा हो गया है। आंकड़ों के अनुसार, उद्योग का हिस्सा 23.2% जबकि कृषि का योगदान 22.4% रहा।
बदल रही है बिहार की तस्वीर
अब तक बिहार की अर्थव्यवस्था में कृषि का वर्चस्व रहा करता था, लेकिन अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर राज्य की विकास यात्रा का नया इंजन बन चुका है। यही कारण है कि बिहार सरकार ने स्पष्ट लक्ष्य तय किया है— आने वाले समय में बिहार को पूर्वी भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाना।