बिहार की राजधानी पटना में इस बार छठ महापर्व के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विशेष सतर्कता बरती गई है। गंगा नदी के किनारे स्थित कुल 13 घाटों पर व्रतियों को अर्घ्य देने की अनुमति नहीं है। प्रशासन ने यह कदम नदी में बढ़ते जलस्तर, कटाव और सुरक्षा कारणों को देखते हुए उठाया है। इनमें 6 घाटों को खतरनाक और 7 घाटों को अनुपयुक्त श्रेणी में रखा गया है। इन घाटों को लाल कपड़े से घेरकर चेतावनी दी गई है।
खतरनाक घाटों में कंटाही घाट, राजापुर पुल घाट, पहलवान घाट, बांस घाट, बुद्धा घाट और नया पंचमुखी चौराहा घाट शामिल हैं। वहीं, अनुपयुक्त घाटों की सूची में टीएन बनर्जी घाट, मिश्री घाट, जजेज घाट, अदालत घाट, बुंदेल टोली घाट, अदरख घाट और गुलबी घाट शामिल हैं। प्रशासन ने व्रतियों से अपील की है कि वे केवल सुरक्षित घाटों पर ही अर्घ्य देने पहुंचे।
पटना जिले में इस वर्ष कुल 550 घाटों पर व्रतियों का आगमन होगा। इनमें 102 घाट गंगा के किनारे, 45 पार्क और 63 तालाब शामिल हैं। नगर निगम क्षेत्र में 200 से अधिक स्थानों पर विशेष प्रबंध किए गए हैं। व्रतियों की सुविधा के लिए 400 अस्थायी चेंजिंग रूम, 552 अस्थायी शौचालय और 450 यूरिनल बनाए गए हैं। घाटों पर पानी की व्यवस्था के लिए 50 टैंकर और 37 चापाकल लगाए गए हैं।
भीड़ प्रबंधन को लेकर 171 वॉच टावर, 13 यात्री शेड, 112 नियंत्रण कक्ष और 13 सहायक नियंत्रण कक्ष तैयार किए गए हैं। सुरक्षा के लिए एनडीआरएफ की 9 टीमें (277 सदस्य), एसडीआरएफ की 9 टीमें (36 सदस्य), 444 गोताखोर, 323 नाव और नाविक तथा 149 सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स तैनात रहेंगे। रिवर पेट्रोलिंग के माध्यम से नदी में किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने की पूरी व्यवस्था की गई है।
पटना के डीएम डॉ. एसएम त्यागराजन ने बताया कि घाटों पर सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए सभी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। प्रशासन की सतर्कता के बीच भी व्रतियों की भक्ति, श्रद्धा और आस्था अपरिवर्तित बनी हुई है। छठ मइया के प्रति इस अटूट विश्वास और पवित्र भाव ने पर्व को न केवल धार्मिक महत्व प्रदान किया है, बल्कि इसे सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने का प्रयास भी उजागर किया है।