राजधानी पटना में पिछले एक हफ्ते से वायरल बीमारियाँ तेज़ी से फैल रही हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों के OPD में फ्लू जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चिकित्सकों के मुताबिक ऐसे मामलों में लगभग 30–35 प्रतिशत तक इजाफा देखा गया है। मौसम का अचानक बदलना, प्रदूषण का स्तर बढ़ना और हवा में नमी की कमी, संक्रमण के तेजी से फैलने की मुख्य वजहें मानी जा रही हैं।
अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की आमद
IGIMS, PMCH, NMCH, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, गर्दनीबाग अस्पताल और राजेंद्र नगर सामुदायिक केंद्र जैसे प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में इन दिनों खांसी-बुखार से पीड़ित मरीजों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार अधिकतर लोग तेज बुखार, गले में दर्द, नाक बहना, सिरदर्द और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल का कहना है कि पल्मोनरी और ईएनटी विभाग में सबसे अधिक भीड़ है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मामले साधारण वायरल संक्रमण के हैं, जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव है और दो-तीन दिनों में आराम मिल जाता है।
मौसम और प्रदूषण ने बढ़ाई परेशानी
पटना की हवा इन दिनों बेहद खराब है। न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि दिन और रात के तापमान में 10–12 डिग्री तक का उतार-चढ़ाव हो रहा है। दिन में गर्मी और रात में ठंड जैसी स्थिति ने लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर किया है। साथ ही, हवा में नमी कम होने के कारण वायरस लंबे समय तक सक्रिय बने हुए हैं।
शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) नवंबर में 280 से 320 के बीच दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी हवा में वायरस तेजी से फैलते हैं, खासकर सांस की समस्या वाले लोगों को अधिक दिक्कत होती है।
किन्हें है ज्यादा खतरा?
अधिकांश मरीज घर पर ही ठीक हो रहे हैं और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही। लेकिन दमा (अस्थमा), COPD, किडनी या हृदय रोग से पीड़ित लोगों में संक्रमण गंभीर रूप लेने की संभावना ज्यादा है, इसलिए इन्हें विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
यह स्थिति इस बात की ओर संकेत करती है कि पटना जैसे बड़े शहरों में मौसम का अस्थिर होना और हवा की गुणवत्ता का बिगड़ना अब सीधे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है।