NEWSPR डेस्क। भागलपुर जिला शिक्षा विभाग में एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। निलंबन अवधि के दौरान एक शिक्षिका ने विभाग को गुमराह कर न सिर्फ विशिष्ट शिक्षिका बन गई, बल्कि इस नियोजित शिक्षक के रूप में जीवन निर्वाह भत्ता के साथ-साथ विशिष्ट शिक्षक का वेतन भी प्राप्त किया। अब विभाग ने दोबारा नारायणपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय दुधैला की शिक्षिका रिंकु कुमारी को निलंबित करते हुए उनका मुख्यालय प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय रंगरा चौक निर्धारित किया है।
जिला शिक्षा विभाग के मुताबिक, शिक्षिका पर 28 फरवरी को निलंबन की कार्रवाई की गई थी। निलंबन अवधि में स्वयं के हस्ताक्षर कर अपने आप को विशिष्ट शिक्षक (प्रभारी प्रधानाध्यापक) के पद पर योगदान दे दिया। विभाग को इस संबंध में किसी प्रकार की सूचना तक नहीं दी गई। जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जान-बूझकर विभाग को गुमराह किया गया। जिला शिक्षा विभाग ने इन गंभीर आरोपों को देखते हुए बिहार विद्यालय, विशिष्ट शिक्षक संशोधित नियमावली 2024 के तहत विशिष्ट शिक्षिका (प्रभारी प्रधानाध्यापिका) पर कार्रवाई की है।
शिक्षिका को लेकर 27 दिसंबर 2024 में कमांड एंड कंट्रोल पर शिकायत दर्ज की गई थी। उन पर आरोप था कि रिंकु कुमारी विद्यालय जाए बिना फर्जी तरीके से उपस्थिति दर्ज कर रही थी। साथ ही उनकी अनुपस्थिति में उनके पति ही विद्यालय का संचालन करते हैं। इसके बाद जांच रिपोर्ट और शिक्षिका द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण भी असंतोषजनक मिला था। इसके बाद तत्कालीन डीपीओ स्थापना ने 28 फरवरी को शिक्षिका को निलंबित कर दिया था और विभागीय कार्रवाई के अधीन कर दिया था।
उठ रहे सवाल: शिक्षिका निलंबित थी तो कैसे विभाग ने दिया विशिष्ट शिक्षक का योगदान पत्र? विशिष्ट शिक्षक को लेकर मुख्यालय का निर्देश था कि निलंबित या विभागीय कार्रवाई चल रहे शिक्षक को योगदान पत्र नहीं देना है। सवाल उठता है कि शिक्षिका रिंकु कुमारी को निलंबन अवधि में योगदान पत्र कैसे दे दिया गया?