पटना डेस्क
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के 83वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर बुधवार को डॉ शिप्रा मिश्रा द्वारा संपादित पुस्तक ‘दस्तक देते रहेंगे’ (वर्ष 1968 से 2000 तक डॉ मिश्र के सदन में दिये गए भाषणों का संकलन) का विमोचन पटना में एक कार्यक्रम के दौरान डॉ विनोद नारायण झा, मंत्री, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, बिहार सरकार ने किया। पुस्तक की संपादक डॉ शिप्रा मिश्रा उनकी ज्येष्ठ पुत्रवधु एवं प्रबंधन सलाहकार हैं।
इस दौरान डॉ विनोद नारायण झा ने स्व. डॉ. जगन्नाथ मिश्रा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि डॉ जगन्नाथ मिश्रा इतिहास पुरूष हैं। अभी कुछ दिन पहले हमलोगों के बीच थे। उन्होंने कहा कि जब हम उन पंक्तियों को, उनके जीवन के पन्नों को उलटते हैं, तो बहुत कुछ दिखता है। उसमें बिहार की संभावनाएं दिखती हैं। भविष्य दिखती है। बिहार के लिए क्या किया जा सकता है, वो भी दिखता है, जिसके लिए उन्होंने अथक प्रयास भी किया। वे तीन बार इस प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। नेता प्रतिपक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे। उन्होंने कहा कि उनकी जयंती पर यह अच्छा मौका है, जब उनके बड़े पुत्र संजीव मिश्रा और उनकी पत्नी शिप्रा ने यह पुस्तक संपादित किया है। यह पुस्तक डॉ जगन्नाथ मिश्रा के बारे में है, जो अपने आप में महत्वपूर्ण है। हम तो उन्हें दूर से देखते थे और उनके बारे में पढ़ते-सुनते थे। लेकिन संजीव जी छोटी उमर से उन्हें देखते थे और कई अनछुए पहलु हम नहीं जानते, जिसे बिहार के लोगों को जानना चाहिए। ऐसी बातें इस किताब में मिलेगी। हम डॉ जगन्नाथ मिश्रा को हृदय की गहराईयों से नमन करते हैं और उनके रास्ते पर चलने का प्रण लेते हैं।
संस्थान के अध्यक्ष और स्व. डॉ जगन्नाथ मिश्रा के ज्येष्ठ पुत्र डॉ संजीव मिश्र ने कहा कि बाबू जी को पुस्तकों से बहुत प्रेम था। उन्हें जब भी सरकारी कामकाज और लोकजीवन की जिम्मेदारियों से अवकाश मिलता, अपने कार्यालय में पुस्तकों के बीच खोये रहते थे। वे एक गंभीर लेखक थे। उनकी अब तक 23 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। निधन से ठीक पहले वे इस पुस्तक पर मंथन कर रहे थे, लेकिन दुर्भाग्यवश यह काम अधूरा रह गया था। मैंने बाबूजी से गुरूमंत्र की दीक्षा ली थी एवं वे मेरे मार्गदर्शक भी रहे। मेरी धर्मपत्नी भी उनकी बड़ी पुत्रवधु के नाते उनके स्नेह एवं प्रेरणा से अभिभूत रहा करती थी। इसी प्रेरणा से उन्होंने उनके इस अधूरे कार्य को पूरा किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के निदेशक डॉ प्यारे लाल द्वारा किया गया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि डॉ मिश्रा विश्वविद्यालय के आचार्य पद से राजनीति के उच्च शिखर तक पहुंचे थे। ये अत्यंत मृदुभाषी, कुशल राजनीतिज्ञ, प्रख्यात अर्थशास्त्री के साथ- साथ कुशल प्रशासक भी थे। बता दें कि कोविड 19 के महामारी के चलते सरकार द्वारा जारी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए सीमित जन समूह के माध्यम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो. कलानाथ मिश्र, बच्चा ठाकुर, उपेंद्र नारायण विद्यार्थी, श्याम बिहारी मिश्र, शेखर, जीवानंद झा, कामेश्वर सिंह, गजेंद्र सिंह और विजय नारायण झा आदि उपस्थित रहे।