जानिए केले का थम का राज क्या – क्या बनता है, पढ़िये पूरी खबर

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR DESK – एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी, आम का आम व गुठली का दाम ,कुछ ऐसा ही कारनामा किया है मोतिहारी के एक किसान ने लेकिन आज हम आपको आम की नही बल्कि केले की बात करते है। केला जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है. और लगभग सभी आयु के लोग इसे काफी चाव से खाते है।लेकिन क्या कभी आपने सुना है कि केले के वेस्टेज पदार्थ यानी केले के थम से फाइबर धागा भी बनता है

क्या कभी आपने सुना है कि केले के थम से हैट व मैट भी बनता है ।क्या कभी आपने सुना है कि केले के थम से झोला व कपड़ा भी बनता है ,,नही न,
तो आज हम आपको बताते व दिखलाते है कि जिस केले को आप इतनी पसंद से खाते है उसके थम से ये सभी वस्तुए भी बनती है ।जी हां कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखलाया है मोतिहारी के एक लाल ने जो केले की खेती के बाद उसका फसल कटने के उपरांत उसके कचरे से फाइबर धागा बनाते है व किसानों के वेस्टेज की समस्या को दूर भी करते है व उससे पैसा भी कमाते है।

आलम ये है कि अब इस धागे की डिमांड विभिन्न कंपनियां कर रही है और इसे बनाने वाले पवन कुमार आर्डर भी पूरा नही कर पा रहे है ।सबसे बड़ी बात ये भी है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रो में लोगो को रोजगार भी मिल रहा है व अब इस गांव के युवा यही रहकर इस काम को करना चाहते है ,,करें भी क्यो नही जब रोजगार उनके घर चलकर आया है वो भलां वे दूर दराज परिवार छोड़कर कमाने क्यों जाए।

पहले देखिये इन तस्वीरों को फिर हम आपको पूरी कहानी तपतिस से बताते है..

अपनी हैंड मेड मशीन पर केले के थम को टुकड़े करने के बाद धागा बनाते ये है मोतिहारी के पावन कुमार ,,पवन कुमार आज एक युथ आइकॉन से कम नही है ।बिना किसी खास लागत से केले के थम से धागा बनाने की विधि का ईजाद करने वाले इस ब्यक्ति ने कभी सपने में भी नही सोचा था कि जिस काम को वे करने जा रहे है वो लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जायेगा ।आज पवन की दो दो यूनिट धागा बनाने की चल रही है.

साथ ही इस धागे से पवन हैट, मैट व झोला के साथ कई आकर्षक सामग्रियां भी बना रहे है ।सहकार भारती से जुड़े पवन को इस कार्य में कोई परेशानी नही होती है क्योंकि जब केला किसान अपनी फसल काट लेते थे तो उनके पास इसके वेस्टेज को लेकर एक बड़ी समस्या हो जाती थी ,,तब पवन ने एक तरकीब निकाली व बना डाला इस हैंड मेड मशीन ,,जिसकी लागत मात्र 25 हज़ार रुपये है ।और वे इसी मशीन से लाखों का कारोबार तो कर ही रहे है साथ मे ग्रामीण युवाओं को तो रोजगार भी दे रहे है वही शहर की 45 महिलाओं को हेंडीक्राफ्ट के माध्यम से रोजगार दे रहे है ।तो है न ये आम के आम व गुठली के दाम वाली बात ।

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