NEWSPR DESK: पटना हाईकोर्ट के द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. एकसाथ सिविल कोर्ट के 17 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है. इन सभी लोगों पर रिश्वत यानी घूस लेकर काम कराने का आरोप लगा है. जिसमे आठ पेशकार, तीन क्लर्क, एक टाइपिस्ट सहित चार चपरासी शामिल हैं. दरअसल 15 नवम्बर 2017 को एक निजी चैनल के द्वारा पटना सिविल कोर्ट परिसर में स्टिंग ऑपरेशन किया गया था. तभी से कार्रवाई की तलवार लटक रही थी. इन सभी लोगों की तस्वीरें कैमरे में घूस लेते रिपोर्टर के द्वारा कैद की गई थी, और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था. जिस पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन ने कार्रवाई की है.
आपको बता दें कि बर्खास्तगी में रोमेंद्र कुमार, संतोष तिवारी, कुमार नागेन्द्र, संजय शंकर, आशीष दीक्षित, प्रदीप कुमार, सुनील कुमार यादव, विश्वमोहन विजय (सभी पेशकार), मुकेश कुमार (क्लर्क), सुबोध कुमार (टाइपिस्ट), शहनाज़ रिज़वी (नकलखाना क्लर्क), सुबोध कुमार (सर्वर रूम का क्लर्क), मनी देवी, मधु राय, राम एकबाल और आलोक कुमार (सभी चपरासी) शामिल हैं.
गौरतलब है कि कोर्ट के आदेश के बाद पीरबहोर थाना में मामला दर्ज कर लिया गया है. आगे के लिए क़ानूनी कार्रवाई की जा रही है. पटना सिविल कोर्ट के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में घूसखोरों के ऊपर कार्रवाई की गई है.
पटना से चंद्रमोहन के साथ विक्रांत की रिपोर्ट