NEWSPRडेस्क। देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रही है। बिहार में भी संक्रमण का असर काफी बढ़ता जा रहा है। जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक अब आर्थिक संकट से टक्कर लेने के लिए मजबूती से तैयार है। नए वित्त वर्ष (2021-22) की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने कई फैसले लिए हैं। जिसमें कई अहम ऐलान किए गए हैं…
रिजर्व बैंक ने फाइनेंशियल संस्थानों जैसे नाबार्ड, नेशनल हाउसिंग बैंक और सिडबी के लिए 50 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। इसके तहत नाबार्ड को 25 हजार करोड़ रुपए, नेशनल हाउसिंग बैंक को 10 हजार करोड़ रुपए और सिडबी को 15 हजार करोड़ दिए।
RBI ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों के लिए नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर NEFT और RTGS सुविधाओं का दायरा बढ़ाया है। इसके तहत फिनटेक और पेमेंट कंपनियां भी NEFT और RTGS के जरिए पैसे ट्रांसफर कर सकेंगी। अब तक केवल बैंकों के लिए ही यह सुविधा उपलब्ध थी। रिजर्व बैंक के मुताबिक इससे फाइनेंशियल सिस्टम में सेटलमेंट रिस्क को कम करने में मदद मिलेगी और देश में डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेज को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
आपको बता दें कि डिजिटल पेमेंट में तेजी लाने के लिए RBI ने डिजिटल पेमेंट बैंक की लिमिट को दोगुना कर 2 लाख रुपए कर दिया है। अभी पेमेंट बैंकों की डिपॉजिट लिमिट 1 लाख रुपए है। पेमेंट वॉलेट के अपग्रेडेशन पर भी काम किया जा रहा है। जैसे अगर आप गूगल पे या पेटीएम दोनों वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं तो एक-दूसरे के वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करना संभव नहीं। ऐसे में सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम पर काम किया जा रहा है। इसके तहत वॉलेट से बैंक अकाउंट में आसानी से पैसे ट्रांसफर किए जा सकेगें। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यूजर्स को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करने की आजादी होनी चाहिए।
शक्तिकांत दास ने कहा कि TLTRO स्कीम की अवधि को अगले छह माह के लिए यानी 30 सितंबर 2021 तक बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि RBI अपने विभिन्न टूल्स के जरिए बाजार में पर्याप्त लिक्विडिटी सपोर्ट देना जारी रखेगा। LTRO का फुल फॉर्म टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन है। यह एक ऐसा साधन होता है जिससे बैंक रेपो रेट पर रिजर्व बैंक से एक से तीन साल के लॉन्ग टर्म के कर्ज लेते हैं और इसके बदले उन्हें सरकारी या अन्य कोई लंबी अवधि की सिक्योरिटीज जमानत के रूप में रखनी पड़ती है।
Moneyeduschool के फाउंडर अर्नब पंड्या कहते हैं कि वर्तमान हालात को देखते हुए MPC का फैसला उम्मीद के मुताबिक रहा है। SIDBI, NHB और NABARD के लिए आर्थिक मदद देना एक अच्छा कदम है। इससे इन संस्थानों को संकट से उबारने में मदद मिलेगी, जिनका कारोबार फिलहाल आर्थिक तंगी के चलते सुस्त पड़ा है। महामारी के दौर में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने से फिनटेक कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए अच्छी बात है।
पटना से स्वप्निल सोनल की रिपोर्ट…