NEWSPR DESK- राज्य सरकार ऑक्सीजन संकट से उबरने का स्थायी समाधान भी खोज रही है। इसके लिए राज्य में व्यापक पैमाने पर ऑक्सीजन के उत्पादन और लिक्विड ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता खत्म करने की भी योजना है। यह काम निजी क्षेत्र की मदद से किया जाएगा।
निवेशकों को लुभाने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति लाने पर मंथन चल रहा है। नई नीति का लाभ सिर्फ ऑक्सीजन निर्माताओं को ही नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर, कंसेंट्रेटर, बाईपैप सहित इससे जुड़े अन्य उपकरण बनाने वालों को भी मिलेगा। उद्योग विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो निवेशकों को बहुत आकर्षक केपिटल सब्सिडी देने पर विचार हो रहा है। यह 30 से 35 प्रतिशत तक भी हो सकती है।
बिहार में नहीं हैं सिलेंडर-कंसेंट्रेटर, बाईपैप की उत्पादन इकाई..
बिहार में ऑक्सीजन सिलेंडर या कंसेंट्रेटर और बाईपैप जैसे मेडिकल उपकरण बनाने वाली फिलहाल कोई इकाई नहीं हैं। कंसेंट्रेटर आदि उपकरण अधिकांशत: चीन से आते हैं।
जिन्हें दिल्ली के ट्रेडरों के जरिए बिहार लाया जाता है। वहीं, लिक्विड ऑक्सीजन गैस की भी कोई इकाई नहीं है। इसे फिलहाल झारखंड के बोकारो से लाया जा रहा है। वहीं, बिहार में हवा से ऑक्सीजन बनाने वाली 16 इकाइयां हैं।