कोरोना वायरस संकट के बीच म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है. यह एक ऐसा खतरनाक इंफेक्शन है, जो अब तक बहुत ही कम लोगों को होता रहा है. लाखों में किसी एक को यह संक्रमण होता था. लेकिन पिछले कुछ दिनों के दौरान कोरोना से संक्रमित मरीजों में यह इंफेक्शन बड़ी तेजी से फैला है. यह इतना खतरनाक संक्रमण है कि इसके शिकार में जो लोग आते हैं उनमें से करीब आधे लोगों की जान चली जाती है.
म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन (Amphotericin-B injection) की महत्वपूर्ण भूमिका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस ड्रग के इस्तेमाल की स्वीकृति दी है. एक्सपर्ट के अनुसार, शुरू से ही एम्फोटेरिसिन-बी की मांग कम रही, इसलिए स्टॉकिस्ट के पास भी इसकी उपलब्धता नहीं थी. अब ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों ने केंद्र से ये दवा मुहैया कराने की मांग की है. हरियाणा ने केंद्र से एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की 12,000 शीशियों की मांग की है. आइए जानते हैं ब्लैक फंगस को कैसे पहचानें और एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन इसके इलाज में कैसे कारगर है.
ब्लैक फंगस इतना खतरनाक इंफेक्शन है, जिनमें मरीजों को बचाने के लिए उनकी आंखें तक निकालनी पड़ी हैं. ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले डायबिटिक लोगों में आ रहे हैं. ऐसे में डायबिटिक लोगों को सबसे अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है और नियमित तौर पर अपना शुगर लेवल चेक करते रहना चाहिए.
कैसे पहचाने कि ब्लैक फंगस हुआ है?
ब्लैक फंगस आमतौर पर साइनस, मस्तिष्क और फेफड़ों को प्रभावित करता है. अगर कई दिनों से नाक बंद है या नाक से खून या काला-सा कुछ निकल रहा है, गाल की हड्डियों में दर्द है और एक तरफ चेहरे में दर्द या सूजन है, नाक की ऊपरी सतह काली हो गई है, दांत ढीले हो रहे हैं. आंखों में दर्द और धुंधला दिख रहा है या सूजन है. थ्रांबोसिस, नेक्रोटिक घाव, सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्कत हो तो ब्लैक फंगस हो सकता है. ओरल कैविटी या दिमाग के ब्लैक फंगस से सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका रहती है, लेकिन कई मामलों में यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है जैसे कि गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट, स्किन और शरीर के अन्य ऑर्गन सिस्टम्स.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि म्यूकोरमाइकोसिस पहले हाई ब्लड शुगर वाले मरीजों में, कीमोथेरेपी से गुजरने वाले कैंसर रोगियों में और इम्यूनोसप्रेसेन्ट लेने वाले लोगों में देखा गया था. हालांकि, कोरोना संकट ने ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या बढ़ा दी है. कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस का संक्रमण ज्यादा हो रहा है. वहीं, डायबिटीज के मरीजों को ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा है.
ब्लैक फंगस कोरोना की तरह एक से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है. यह कम्यूनिकेबल डिजीज नहीं है. कोरोना की चपेट में आ चुके डायबिटीज से पीड़ित लोगों को यह फंगल इंफेक्शन होने का ज्यादा खतरा है. एम्स के डायरेक्ट रणदीप गुलेरिया ने इसके साथ ही बताया कि इस इंफेक्शन का ट्रीटमेंट जल्दी शुरू कर देने का फायदा होता है. डॉक्टरी परामर्श के बगैर लोगों को स्टेरॉयड लेने से बचना चाहिए. जिन लोगों की इम्यूनिटी कम होती है, उन्हें ब्लैक फंगस चपेट में लेता है. यह फेंफड़े, नाक, पाचन तंत्र में यह पाया जाता है.
राज्यों को एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का आवंटन कैसे किया जा रहा है?
केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा के दो दिन पहले शेयर की गई लिस्ट के मुताबिक, राज्यों को एम्फोटेरिसिन-बी का वितरण उनके वहां रिपोर्ट किए गए ब्लैक फंगस के मामलों की संख्या के आधार पर किया जा रहा है. मसलन, गुजरात को दवा की 5,800 शीशियां आवंटित की गईं. ये केंद्र द्वारा राज्यों को जारी की गई कुल 23,680 अतिरिक्त शीशियों का लगभग 25% थी. 22 मई तक देश में ब्लैक फंगस के कुल 8 हजार 848 केस में से 2,281 मामले सिर्फ गुजरात में रिपोर्ट हुए हैं. केंद्र ने कहा, ‘राज्यों को कुल खुराक का 75% ही भेजा गया है. बाकी 25% राज्यों द्वारा बताए गए ब्लैक फंगस के नए मामलों के आधार पर ही भेजा जाएगा.’ केंद्र ने यह भी घोषणा की है कि देश में ज्यादा मात्रा में दवा का उत्पादन करने के लिए कुछ और कंपनियों को भी मंजूरी दे दी गई है. विदेशी निर्माताओं से भी एम्फोटेरिसिन बी के आयात के लिए बात की जा रही है. केंद्र ने कहा है कि 5 अतिरिक्त फर्में अब 6 अन्य कंपनियों में शामिल होंगी, जो पहले से इस दवा का उत्पादन कर रही हैं. इसके अलावा, भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसिन-बी की 6 लाख शीशियों के आयात का भी ऑर्डर दिया है. एक मरीज के लिए खुराक आमतौर पर एक सप्ताह के लिए 42 शीशी होती है. ऐसे में इंजेक्शन की 50mg शीशी की कीमत 7,800 रुपये तक हो सकती है.
देश में ब्लैक फंगस के अबकर 9000 मामले आए
देश में अबतक इस गंभीर बीमारी के करीब नौ हजार केस दर्ज किए जा चुके हैं. कई राज्यों ने ब्लैक फंगस को महामारी भी घोषित कर दिया है. जानिए देश में ब्लैक फंगस को लेकर क्या ताजा अपडेट है. ब्लैक फंगस उन लोगों में ज्यादा फैल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर, शुगर, गुर्दे की बीमारी, दिल की बीमारी रोग और जिनको उम्र संबंधी परेशानी है या फिर जो आर्थराइटिस (गठिया) जैसी बीमारियों की वजह से दवाओं का सेवन करते हैं.