राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण बिल्कुल ढलान पर है. शुक्रवार को पिछले 24 घंटे में सिर्फ 1141 मामले दर्ज किए गए. राजधानी में पॉजिटिविटी रेट 1.6 परसेंट रही. वहीं, एक दिन में 139 लोगों की मौत हुई. यह लगातार तीसरा दिन था जब राजधानी में नए मामले 1500 से कम दर्ज किए गए और पॉजिटिविटी रेट 2 परसेंट से कम रही. पिछले एक महीने में राजधानी में एक्टिव केसों में 85 परसेंट तक की कमी दर्ज की गई है.
दूसरी लहर पर पा लिया काबू, बोले केजरीवाल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली ने किसी तरह महामारी की दूसरी लहर पर काबू पा लिया है. स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार संक्रमण के चलते अब तक कुल 23,951 लोगों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को संक्रमण के 1,072 मामले सामने आए थे और 117 रोगियों की मौत हुई थी. संक्रमण की दर गिरकर 1.53 परसेंट हो गई थी.
रोजाना आ सकते हैं 45000 केस
हालांकि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद विशेषज्ञ तीसरी लहर की भी चेतावनी दे रहे हैं. साथ ही इस लहर में दूसरी लहर से कई गुना ज्यादा कोरोना केस आने की भी बात कह रहे हैं. आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की ओर से तीसरी लहर की चेतावनी के बाद अब आईआईटी दिल्ली की ओर से कोरोना की तीसरी लहर को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जो काफी चौंकाने वाली है.
दिल्ली हाईकोर्ट में फाइल की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की तीसरी लहर में दिल्ली में 45000 मामले तक रोजाना आ सकते हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरी लहर के मुकाबले 30-60 फीसदी तक ज्यादा मामले देखने को मिल सकते हैं जो एक बड़ी संख्या है. वहीं मामले इस हद तक गंभीर भी हो सकते हैं कि करीब नौ हजार लोगों को रोजाना अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़े.
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कोरोना का संक्रमण तीसरी लहर में गंभीर होने के साथ ही ज्यादा बड़ी संख्या को अपनी चपेट में ले सकता है. इस रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि अगर तीसरी लहर में मामले बढ़ते हैं तो मरीजों की संख्या के साथ ही उनके लिए सुविधा और अस्पतालों की हालत क्या होगी साथ ही ऑक्सीजन की जरूरत और उसकी पूर्ति की क्या संभावना रहेगी.
आईआईटी दिल्ली की ओर से कहा गया है कि जुलाई के बाद तीसरी लहर को नियंत्रित करने और लोगों को इस संकट से बचाने के लिए करीब 944 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत होगी. इसकी तैयारी पहले से करने की जरूरत है. हालांकि इस रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने चार सप्ताह में दिल्ली सरकार से इन सिफारिशों पर कदम उठाने संबंधी जानकारी मांगी है.