कोरोना संकट और लॉकडाउन के बावजूद बिहार में सियासी हलचल तेज है. एक दिन पहले ही आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने दो विधायकों के साथ मुलाकात की. इसी बीच शनिवार को पूर्व सीएम और हम पार्टी के मुखिया जीतनराम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी की मुलाकात हुई. दोनों नेताओं के मिलने की तस्वीर सामने आने के बाद सूबे का सियासी पारा चढ़ने लगा है.
बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिन 2 दलों के बूते सरकार टिकी हुई है उनके नेताओं का मन डोलता नजर आ रहा है. दोनों दल के नेता समय-समय पर मन डोलने का सबूत भी खुद ही पेश कर रहे हैं. ऐसी खबरें हैं कि सरकार में शामिल दोनों दल के नेताओं से राजद लगतार संपर्क बनाए हुए है.
बताते चलें कि बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सीटों का फासला बहुत कम है. अगर इस फासले में 2 छोटे दलों ने कभी पलटी मारी तो सरकार पर संकट के बादल मंडराने लग जाएंगे.
बिहार में एनडीए की सरकार है और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार विराजमान हैं. बिहार एनडीए को बीजेपी, जेडीयू, हम, वीआईपी और निर्दलीय को मिलाकर 127 विधायकों का समर्थन हासिल है. हालांकि यह संख्या 128 थी लेकिन जेडीयू के एक विधायक के निधन के बाद यह संख्या घटकर 127 रह गई है.
अगर विपक्ष की बात करें तो महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, माले, सीपीआई और सीपीएम शामिल है. इन पांचों दल को मिलाकर कुल विधायकों की संख्या 110 है. वहीं ओवैसी की पार्टी AIMIM के भी 5 विधायक हैं. अगर एआईएमआईएम को भी विपक्ष में जोड़ दें फिर भी यह संख्या 115 तक ही पहुंच रही है. ऐसे में महागठबंधन सत्ता से दूर ही है. लेकिन एक स्थिति में तेजस्वी यादव बाजी पलट कर सत्ता के करीब पहुंच सकते हैं. वो स्थिति समय-समय पर बनते हुए दिख भी रही है.
तो बाजी पलटने वाले हैं लालू यादव?
राजद की तरफ से भीतर ही भीतर नीतीश कुमार की सरकार में शामिल हम और वीआईपी को अपने पाले में लाने की कोशिश जारी है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि लालू प्रसाद इस मिशन में जुटे भी हुए हैं. जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी का भीतरी गठबंधन भी बहुत कुछ कह रहा है. बताया जाता है कि सरकार में तवज्जो नहीं मिलने और विप की 1-1 सीट नहीं मिलने की वजह से मुकेश सहनी और मांझी भीतर ही भीतर नाराज हैं और बदला लेने की ताक में हैं. इसके लिए समय का इंतजार किया जा रहा है. ये दोनों नेता समय-समय इसका प्रकटीकरण भी करते आ रहे हैं.
मालूम हो कि शनिवार को भी मुकेश सहनी मांझी के आवास पर पहुंचे थे दोनों में लंबी बातचीत हुई थी. दोनों नेताओं ने इसकी तस्वीर भी जारी कर कहा था कि कई मुद्दों पर चर्चा हुई है. अगर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की रणनीति काम कर गई तो मुख्यमंत्री की कुर्सी डोलने से कोई नहीं रोक सकता. क्यों कि वीआईपी और हम के 4-4 विधायक हैं. अगर ये 8 विधायक महागठबंधन को समर्थन कर दें तो संख्या 118 पर पहुंच जाएगी. सत्ता तक पहुंचने के लिए बाकी की दूरी ओवैसी की पार्टी AIMIM पूरी कर सकती है. इस दल के 5 विधायक हैं. अगर सरकार में शामिल न होकर बाहर से भी समर्थन दे दें तो यह संख्या 123 यानी जादुई आंकड़ों को छू देगी. बिहार में वैसे तो कुल विधायकों की संख्या 243 है. बहुमत के लिए कम से कम 122 विधायकों का समर्थन चाहिए. हालांकि वर्तमान में बिहार विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 242 है. जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन से एक सीट अभी खाली है.
आइए समझ लेते हैं बिहार में सत्ता का समीकरण
NDA – बीजेपी-74,जेडीयू-44, हम-4, वीआईपी-4, और निर्दलीय-1=127
महागठबंधन – राजद-75, कांग्रेस-19, माले-12, सीपीआई-2, सीपीएम-2=110
AIMIM-5…. कुल- 75+19+12+2+2+5=115
अगर मांझी-सहनी ने पाला बदला तब की स्थिति जानिए
राजद-75, कांग्रेस-19, माले-12, सीपीआई-2, सीपीएम-2, AIMIM-5, हम-4, वीआईपी-4= 123. अगर ओवैसी की पार्टी ने तेजस्वी यादव को समर्थन नहीं दिया तब मांझी और सहनी के महागठबंधन में आने से भी सरकार बनते नहीं दिख रही है.
अगर AIMIM विस से वाकआउट कर गई तब की स्थिति
एनडीए- 74+44+1=119
महागठबंधन- 75+19+12+2+2+4+4=118
ओवैसी की पार्टी अगर विस से वाकआउट करेगी तो वैसी स्थिति में वर्तमान में विस की कुल क्षमता 237 (खाली 1 सीट भरने पर 238) की रह जाएगी. बहुमत के लिए आधा+1 का होना जरूरी है. ऐसे में मांझी, सहनी के साथ-साथ ओवैसी की पार्टी का भी महत्वपूर्ण रोल है.
कैसे बचेगी एनडीए की सरकार?
हाल के दिनों में जिस तरह से सरकार में शामिल जीतनराम मांझी और मंत्री मुकेश सहनी के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं उससे बिहार की राजनीति में एक बार फिर से संभावनाओं पर चर्चा शुरू है. सत्ता पक्ष भी पूरा चौकन्ना है और पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है. वहीं विपक्ष की तरफ से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दिल्ली में बैठ कर रणनीति बनाने में जुटे हैं.
सत्ताधारी दल जेडीयू की नजर कांग्रेस और AIMIM के विधायकों पर भी है. कुछ दिन पहले तो AIMIM के सभी विधायक मुख्यमंत्री आवास जाकर सीएम नीतीश से मुलाकात भी कर चुके हैं. हालांकि तब उन विधायकों ने कहा था कि वे क्षेत्र के काम को लेकर मुख्यमंत्री से मिले थे. वहीं मुकेश सहनी के दल से जो चारो विधायक चुनकर आए हैं उन पर भी पूरी नजर है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बराबरी की लड़ाई है. बिहार की वर्तमान स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि आगे कुछ भी संभव है.