जिन आंखों में अफसर बनने का सपना, कोरोना महामारी ने छीना मां बाप का साया, अब खाने के भी लाले, अब बच्चों के भविष्य पर संकट

Rajan Singh

NEWSPR DESK- हर पिता का सपना होता है की बच्चे पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बने ऐसा ही एक खबर आया है सामने साहेबगंज के माधवपुर गांव की जो अमृता ने अपनी आपबीती सुनाते हुए रो पड़े.

बाबूजी का सपना था कि पर लिखकर अफसर बने आमदनी इतनी नहीं थी कि शहर मैं पढ़ाई कर सकें इसलिए पिता जी गांव के ही स्कूल में एडमिशन कराया कोरोना हुआ तो पिता जी ने कहा तुम बहादुर बेटी हो तुम्हें रोने की जरूरत नहीं है और तुम्हें हिम्मत नहीं हार है मगर हम सब कुछ हार चुके हैं अब अपने छोटे भाई बहनों के लिए भोजन कहां से इंतजाम करे बूढ़ी दादी है चार बहन हम लोग और दो भाई सबसे बड़ी मैं हूं और सबसे छोटा 4 साल का है यह कहते हुए अमृता रोने लगी.

16 वर्षीय अमृता कि जिस आंखों में कल अफसर बनने का सपना था वही आंखों से अब आंसू निकल रहे हैं अब आंसू के साथ इसकी चिंता बसती है कि भोजन कहां से लाउ कोरोना ने माता पिता का साया छीन लिया और अब भाई बहनों की परवरिश पर संकट है कोरोना में अनाथ हुए बच्चों में अधिकांश बेटियां हैं 18 से कम उम्र की इन बच्चियों के सामने अब भोजन जुटाने की भी मुश्किल है अमृता अपने भाई-बहनों की देखभाल की जिम्मेदारी उठा रही है तो पारुकी गुड्डी अब रिश्तेदारों के सहारे हैं.

अमृता कहती हैं कि पिता किसानी करते थे तो घर का पेट पालन होता था अमृता की बुआ रामजती कहती है कि ईन बच्चों के भविष्य को लेकर अब तक कोई मदद नहीं मिला है और सरकार की ओर से हम लोग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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