Entertainment Beat: फाइनली जिस घड़ी का सबको इंतज़ार था, वो आखिरकार आ ही गई. काफी डिले के बाद ‘द फैमिली मैन’ का सीज़न 2 आ गया है. मनोज बाजपयी बिहार के आन बान शान हैं. जबर्दस्त एक्टर हैं और मस्त मौला इंसान भी हैं.
दरअसल, इस शो को 04 जून को रिलीज़ होना था. लेकिन 03 जून की रात से ही शो के सभी एपिसोड्स स्ट्रीम करने के लिए उपलब्ध हो गए थे. खैर, पहले सीजन की तरह ये सीजन भी काफी फारु है. आप भी देर मत कीजिए जल्द ही देख डालिए.
The Family Man 2 की कहानी क्या है?
कहानी शुरू होती है श्रीलंका के एक रेबल ग्रुप से. जो तमिल लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. सरकार से जारी लड़ाई के चलते उनका ग्रुप छिन्न-भिन्न हो जाता है. कुछ साथी इंडिया आकर छुप जाते हैं. तो बाकी लंदन में शरण ले लेते हैं. उधर, इन सब बातों से बेखबर श्रीकांत तिवारी टास्क छोड़ चुका है. एक टिपिकल कॉर्पोरेट जॉब में अपना 9 टू 5 का वक्त बीता रहा है. श्रीकांत और बागी तमिल ग्रुप के अलावा कहानी का तीसरा पहलू भी है. वो है ISI एजेंट मेजर समीर. समीर फिर एक्टिव हो चुका है. इंडिया पर बड़ा हमला करने की ताक में हैं.
एक गलतफहमी की वजह से मेजर समीर और ये बागी ग्रुप साथ हो जाते हैं. अब दोनों का एक ही मकसद है. इंडिया पर ऐसा हमला करना कि एक मैसेज भेजा जा सके. अपने मकसद में कामयाब हो पाएंगे या नहीं, उधर उन्हें रोकने के लिए टास्क क्या करेगा, यही शो का प्लॉट है. ये सिर्फ शो का प्लॉट है. साथ ही कहानी में इतने सब-प्लॉट खुलेंगे कि आपका ध्यान बंटने नहीं देंगे. ये सारे सब-प्लॉट लास्ट में आकर कैसे कहानी को जस्टिफाई करते हैं, वो भी देखने लायक है.
The Family Man 2 में क्या अच्छा था?‘द रियल फैमिली मैन’
सबसे पहले बात कहानी के मुख्य किरदार श्रीकांत तिवारी की. श्रीकांत के लिए टास्क उसका प्लेग्राउंड था. मिशन पर हालात कितने भी मुश्किल हो जाते थे, वो उनसे पार पाने का तरीका निकाल ही लेता था. कुल मिलाकर कहें तो टास्क श्रीकांत का कम्फर्ट ज़ोन था. इस सीज़न में ये कम्फर्ट ज़ोन उससे छीन लिया गया. वो यहां बना एक ‘रियल फैमिली मैन’. बच्चों को स्कूल छोड़ना, बीवी का बर्थडे याद रखना, फैमिली के साथ पूरा वक्त बिताना. ये सब करने के बावजूद श्रीकांत की लाइफ परफेक्ट नहीं. बच्चे क्या कर रहे हैं, उसे नहीं बताते. बीवी ठीक से बात नहीं करती, उसकी तरफ करवट कर सोना तक पसंद नहीं करती. ऐसी बातें श्रीकांत को खाए जाती हैं. कि सब कुछ करने के बावजूद भी कमी कहां छूट रही है. अपनी ये विवशता, ये बेचैनी वो दुनिया को गा-गाकर नहीं सुनाता. बस आप उसकी थकान भरी आखों में ये सब पढ़ लेते हैं. नसीरुद्दीन शाह ने कभी कहा था कि हम रोने, चिल्लाने को ही एक्टिंग समझते हैं. यहां श्रीकांत न रोया, न चिल्लाया. फिर भी आपको उसके लिए बुरा महसूस होगा. श्रीकांत के ऐसे पोर्टरेयल के लिए तारीफ होनी चाहिए मनोज बाजपेयी की. वैसे उनकी एक्टिंग किसी वैलिडेशन की मोहताज नहीं, फिर भी मनोज जी, गर्दा उड़ा दिए कसम से.
लेकिन श्रीकांत अकेला नहीं है जो आंतरिक मतभेद से जूझ रहा है. कुछ ऐसा ही हाल उसकी बीवी सुचित्रा का भी है. मन में एक बात दबाए अपने दिन काट रही है. उसका एक सच है जो उसे खाए जा रहा है. सुचित्रा की इस उलझन को बखूबी तरीके से प्रेजेंट किया है प्रियामणि ने. जिन्होंने शो में श्रीकांत की पत्नी सुचित्रा का रोल निभाया.
शो हीरो से नहीं, उसके विलन से बनता है
दूसरा फैक्टर जो हमें अच्छा लगा, वो है शो की विलन. राजी. राजी बागी ग्रुप से ताल्लुक रखती है. खतरनाक किस्म की फाइटर है. उसके ऐसा बनने की वजह उसकी पास्ट लाइफ है. जिसे शो में पूरा स्पेस दिया गया है. ऐसा नहीं लगेगा कि बस सीधा राजी को उठाकर फैमिली मैन यूनिवर्स का हिस्सा बना दिया. राजी निडर है. दृढ़ निश्चयी है. अपने मिशन के अलावा उसे किसी और चीज़ से सरोकार नहीं. राजी के अनुभव ऐसे रहे हैं कि एक नज़र में भांप जाती है कि सामने वाला शख्स कितने पानी में है. शो से ही उदाहरण देते हैं.
सीज़न 1 का विलन याद कीजिए, मूसा. शातिर था. किसी को अपने प्लान की भनक तक नहीं लगने दी. श्रीकांत जब उससे नेगोशिएट करने जाता है तो अपनी मां की झूठी कहानी सुनाता है. मूसा उसके झांसे में आ जाता है. कट टू सीज़न 2. यहां भी एक मौके पर श्रीकांत राजी से बात करना चाहता है. उसे अपनी मनगढ़ंत कहानी सुनाता है. राजी इसके बाद उसे अपनी एक कहानी सुनाती है. और कहती है, फर्क ये है कि तुम्हारी कहानी झूठी है और मेरी सच्ची.
श्रीकांत चुप हो जाता है. ऐसी है राजी. सामने वाले को सोचने पर मजबूर कर दे. राजी का रोल निभाया है समांथा अक्किनेनी ने. सिर्फ राजी के लुक्स या एक्शन सीन्स से उसे खतरनाक नहीं बनाया. बल्कि, जिस तरह से समांथा अपने आप को कैरी करती हैं, वो काबिल-ए-तारीफ है.
शो में क्या अच्छा नहीं लगा?
लिटरली कुछ भी नहीं. शो ज़ीरो वेस्टेज पॉलिसी पर चलता है. माने हर चीज़ सही मात्रा में है. हर डायलॉग, हर किरदार, हर एक सीन. सब आगे जाकर बड़े प्लॉट को सपोर्ट करते हैं. एपिसोड लेंथ बढ़ाने के चक्कर में कहीं भी खींचतान नहीं की गई.