NEWSPR डेस्क। झारखंड के किसी थाने में अब पुलिस आइटी एक्ट की धारा 66-ए के तहत केस दर्ज नहीं कर सकेगी, क्योंकि यह धारा निरस्त कर दी गयी है। गृह मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर एडीजी सीआइडी प्रशांत कुमार सिंह ने सभी जिलों के एसपी को इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया है।
इसमें सभी एसपी को जानकारी दी गयी है कि सुप्रीम कोर्ट में आवेदन के माध्यम से इस बात को संज्ञान में लाया गया कि कुछ पुलिस पदाधिकारी अभी भी 66ए में केस दर्ज कर रहे हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। इसलिए सभी थानों को यह जानकारी दी जाये कि वह उक्त धारा में केस दर्ज नहीं करें। इसके साथ ही ऐसा करनेवाले के खिलाफ कार्रवाई की जाये।
सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दी थी धारा : सुप्रीम कोर्ट ने श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में 24 अप्रैल 2015 को पारित जजमेंट के आलोक में उक्त धारा को निरस्त कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एक शिकायत के आधार पर गृह मंत्रालय को बाद में इस बात की जानकारी मिली कि अभी भी पुलिस उक्त धारा में केस दर्ज कर रही है।
इसके बाद गृह मंत्रालय ने 14 जुलाई 2021 को सभी राज्यों के डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अनुपालन करने का निर्देश देते हुए पत्राचार किया था । इसमें इस बात का भी उल्लेख था कि अगर उक्त धारा में कोई केस दर्ज किया गया है, तो इसे वापस लिया जाये. गृह मंत्रालय के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का अनुपालन कराने के लिए पुलिस मुख्यालय आइजी प्रोविजन ने सीआइडी एडीजी को पत्राचार किया था।
क्या थी आइटी एक्ट की धारा 66-ए : किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या सोशल मीडिया के माध्यम से किसी समूह, व्यक्ति या संस्था के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए उसे प्रचारित किये जाने के मामले में इस धारा के तरह मामला दर्ज करने का प्रावधान था. इसमें पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर सकती थी.