NEWSPR डेस्क । बिहार में पिछले कुछ समय से जातीय जनगणना का मुद्दा छाया हुआ है। अब राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने देश के 33 नेताओं को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर उदासीन और नकारात्मक रवैया अपना रही है। उनका कहना है कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक जरूरी कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना ना कराने को लेकर बीजेपी के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।
बीते शुक्रवार को भी तेजस्वी यादव ने जाति आधारित जनगणना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया है वो जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं हैं. यानि केंद्र का अंतिम फैसला है कि वो जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है। कहा कि जातीय जनगणना सभी के पक्ष में है। 90 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि ये हो। हमने पहले भी प्रस्ताव दिया था कि अगर केंद्र से नहीं होता तो राज्य सरकार अपने खर्चे से जातीय जनगणना कराए।
इन 33 वरिष्ठ नेताओं को तेजस्वी ने लिखा पत्र : तेजस्वी ने सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, मायावती, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, सीताराम येचुरी, डी राजा, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, प्रकाश सिंह बादल, दीपांकर भट्टाचार्य, उद्धव ठाकरे, के चंद्रशेखर राव, वाईएस जगन मोहन रेड्डी, महबूबा मुफ्ती, हेमंत सोरेन, पिनरई विजयन, अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी, ओम प्रकाश चौटाला, जीतन राम मांझी, मौलाना बदरुद्दीन आजमी, जयंत चौधरी, ओ पनीर सेल्वम, ओमप्रकाश राजवीर, चिराग पासवान, अख्तरुल इमान, मुकेश साहनी और चंद्रशेखर आजाद को पत्र लिखा है।
केंद्र सरकार नहीं कराएगी जातीय जनगणना : बता दें कि देश में जातीय जनगणना कराने की उठ रही मांगों के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये कह दिया है कि वो जातीय जनगणना नहीं कराएगी और ये उनका सोचा-समझा फैसला है. केंद्र सरकार के इस कदम के बाद सूबे का सियासी पारा चढ़ गया है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरा है. वहीं, पार्टी ने अन्य नेता भी केंद्र सरकार पर हमलावार हैं. सबकी नजरें अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हैं ।