NEWSPR डेस्क। शारदीय नवरात्र का समापन : बिहार के मशहूर रियल एस्टेट की कंपनी पल्वी राज कंस्ट्रक्शन के सीएमडी संजीव श्रीवास्तव और न्यूज पीआर की सीईओ पूजा श्रीवास्तव ने नवरात्र का व्रत रखा था। आज नवरात्र (Navrati 2021) की अंतिम तिथि यानी नवमी के दिन दोनों ने मिलकर कन्या पूजन किया और इसके साथ ही अपने नौ दिन के व्रत का समापन किया। मां नवदुर्गे के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदार्ती का विधि विधान से दोनों ने पूजा-अर्चना किया। सीईओ पूजा श्रीवास्तव ने नवरात्र के पाठ के उपरांत मां से क्षमा प्रार्थना की। तत्पश्चात उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर हवन और आरती किया। इसके बाद संजीव श्रीवास्तव और पूजा श्रीवास्तव ने मां भगवती के प्रतीक के रूप में नौ कन्याओं का पैर धोकर उनका पूजन किया और अपने हाथों से लड़कियों को भोजन कराया। उसके उपरांत कुंवारी कन्या और भैरव बाबा को प्रणाम कर और उनको दक्षिणा के रूप में दान किया। उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। मनोवांछित फल की प्राप्ति हो इसके लिये मां सिद्धिदार्ती से प्रार्थन की। घर में सुख शांति बनी रहेऔर मां जगजननी सभी मनुष्यों का कल्याण करती रहें इसी कामना के साथ वर्त का समापन किया।
कन्या पूजन के साथ ही नवरात्र का हो रहा समापन : मां दुर्गे की आराधना के पर्व नवरात्रि का आज नवमी को समापन हो रहा है। नवरात्र पर्व के अंतिम दिन मां भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। इस दौरान नौ दिन देवी की पूजा के बाद नवरात्रि में कन्याओं का पूजन करने और उन्हें भोजन कराने का बहुत महत्व है। क्योंकि छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। खास कर जो लोग व्रत करते हैं या जिनके घरो में घट स्थापना होती है, ऐसे लोग कन्या पूजन और उसको भोज जरुर करवाते हैं। नवमी के दिन हवन और आरती करने का बहुत बड़ा महत्व है। जब तक हवन और आरती नहीं किया जाता है, तब तक उस पूजा में पूर्णता नहीं होती है। हवन करने से यश की प्राप्ति होती है। मनवांछित फल मिलता है। साथ ही पूजा अर्चना के दौरान जो गलती या त्रुटियां हुई है, आरती और हवन करने से मां उस गलती को क्षमा करती हैं। नवरात्र के पाठ के उपरांत मां से क्षमा प्रार्थना कुंवारी कन्या और भैरव बाबा को भोजन कराने से पूजा में पूर्णता आती है।
2 से 10 वर्ष की कन्याओं को कराया जाता है भोजन : कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल तक की कन्याओं को श्रेष्ठ माना गया है। 9 कन्याओं को भोजन कराना सर्वश्रेष्ठ होता है। लेकिन आप चाहें तो अपनी सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं की संख्या घटा या बढ़ा भी सकते हैं। इन कन्याओं को उम्र के हिसाब से अलग अलग मां का रूप माना जाता है। दो वर्ष की कन्या को कन्या कुमारी, तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति, चार साल की कन्या को कल्याणी, पांच साल की कन्या को रोहिणी, छह साल की कन्या को कालिका, सात साल की कन्या को चंडिका, आठ साल की कन्या को शाम्भवी, नौ साल की कन्या को दुर्गा और 10 साल की कन्या को सुभद्रा का रूप मानकर पूजा जाता है।
इसलिये कन्याओं के साथ बैठाया जाता है बालक : देवी पुराण में बताया गया है कि कन्या भोज से मातारानी जितना प्रसन्न होती हैं, उतना वो हवन और दान से भी प्रसन्न नहीं होतीं। इसलिए कन्या पूजन और भोज पूरी श्रद्धा के साथ करवाएं। आमतौर पर नौ कन्याओं के एक साथ एक छोटे बालक को भी कन्याओं के साथ भोजन कराने का चलन है। दरअसल इस बालक को भैरव बाबा का रूप माना जाता है। इन्हें लांगुर कहा जाता है। कहा जाता है कि कन्याओं के साथ लांगुर को भी भोजन कराने के बाद ही कन्या पूजन पूरी तरह से सफल होता है।
हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा करेंगी प्रस्थान : शारदीय नवरात्रि इस साल 7 अक्टूबर को शुरू हुए, जिसका समापन आज 14 अक्टूबर को महानवमी के साथ हो रहा है। 15 अक्टूबर को असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा मनाया जाएगा। इसी दिन मां दुर्गा वापस कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान करती हैं। मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के साथ ही दुर्गा पूजा उत्सव का समापन होता है। मां दुर्गा इस बार कैलाश पर्वत से डोली पर सवार होकर पृथ्वी पर आईं थीं, लेकिन माता का प्रस्थान हाथी पर होगा। दशमी तिथि शुक्रवार की है, जिसकी वजह से मां दुर्गा गज यानि हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी। देवी मां की हाथी पर सवारी उत्तम वर्षा का संकेत है।