NEWSPR डेस्क। बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चाहे कितना भी दावा क्यों न करे लेकिन जमीनी हकीकत सच्चाई से बिल्कुल अनभिज्ञ है। पैसे की अवैध उगाही और अवैध रूप से मांगे गये पैसे का भुगतान नहीं करने पर विभाग के कर्मचारियों का मानवीय संवेदना भी मानो शून्य हो जाती है।
तीन दिन पहले ही फारबिसगंज अनुमंडलीय अस्पताल में एएनएम और जीएनएम द्वारा पैसे मांगे जाने पर पैसे नहीं देने पर नवजात कन्या के मौत का मामला शांत भी नहीं हो पाया कि एक बार फिर बीती देर रात प्रसव पीड़ा से कराह रही दो प्रसूता को प्रसव वार्ड में भर्ती कराया गया। प्रसव के एवज में वार्ड में ड्यूटी कर रही एएनएम और जीएनएम ने एक-एक हजार रुपैया की मांग की। पैसे नहीं देने पर जहां परिजनों को नवजात शिशु को न केवल देने से मना कर दिया था,बल्कि प्रसव उपरांत लगने वाले इंजेक्शन को तबतक देने से मना कर दिया।
जबतक उन्हें हजार-हजार रुपया भुगतान नहीं कर दिया जाता। जबकि तीन दिन पहले ही एएनएम और जीएनएम की ओर से की गई मांग के बाद उस पर प्रबंधन ने कार्रवाई भी की थी और मामले पर जांच भी चल रहा है। बावजूद इसके इस तरह का दुस्साहस से कर्मी बाज नहीं आ रहे हैं।इसी तरह का वाकया कल रविवार को अररिया सदर अस्पताल में भी हुआ था,जिसके बाद वहां हंगामा हुआ और फिर नर्सों ने लिए पैसे लौटा दिए थे।मामले पर अस्पताल प्रबंधक ने अस्पताल उपाधीक्षक को मामले की जानकारी दे दिए जाने की बात कही।
अररिया से रविराज की रिपोर्ट