अजय कुमार
बाढ़ः पटना जिला के बाढ़ अनुमंडल में कोरोना विस्फोट हो चुका है। कोरोना जांच में 50 फ़ीसदी से ऊपर लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। प्रशासन से लेकर शहरवासी दहशत में है। वहीं इसी शहर के हीं कुछ दुकानदार और कुछ खरीददार लॉकडाउन को मानने के लिए तैयार नहीं है। वह चाहे सदर बाजार हो, या स्टेशन बाजार। बेतरतीब तरीके से लोगों का आना- जाना और दुकानों का चोरी-छिपे खुला रखना जारी है। जो यह साबित करने के लिए काफी है कि बाढ़ में” लॉकडाउन किसी चिड़िया” का नाम नहीं है?
लॉकडाउन रूपी इसी ‘चिड़िया’ की खोज में बाढ़ संवाददाता ने एएनएस. कॉलेज मोड़ से स्टेशन बाजार तक बाइक से दौरा किया। इस दौरान देखा गया कि सड़क पर बगैर रोक-टोक के सभी तरह के वाहन चल रहे हैं। सड़क किनारे बहुत सारी दुकाने भले बंद दिखी, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन की हर जगह धज्जियां उड़ती नजर आई। बाढ़ स्टेशन परिसर के पास तो नजारा ही कुछ अलग दिखा। लॉकडाउन के सरकारी मापदंड को ठेंगा दिखाते हुए बहुत सारे दुकान खुले पाए गए। शहर में अच्छी-खासी चहल-पहल भी दिखी! जबकि प्रशासन नदारद रही! मीडिया पर दुकानदारों की नजर पड़ते ही कुछ क्षणों के लिए नजारा बदल गया !और लोग फटाफट दुकान का शटर गिरा कर भागते नजर आए।
अब सवाल उठता है कि सरकार की नजरों में संपूर्ण लॉकडाउन लागू है! लेकिन कहीं उसका पालन नहीं हो रहा है! क्योंकि सरकार के नियम कानून में ही सैकड़ों छेद है! एक तरफ सरकार कहती है, सोशल डिस्टेंस का पालन करो। दूसरी तरफ टैक्सी और ऑटो रिक्शा चलाने की छूट दी गई है। आखिर उस में बैठे लोग किस तरह सोशल डिस्टेंस का पालन करेंगें। जब वाहन चलेंगे तो लोग आना-जाना करेंगे ही। उसी तरह यदि कुछ दुकानें चोरी-छिपे खुलेंगे, तो उसी का देखा- देखी अन्य दुकानें भी खुलेगी । प्रशासन यदि कठोर कदम नहीं अपनाती है, तो लोग बेलगाम तो होंगे ही। फिर कहां है लॉकडाउन? और किस चिड़िया का नाम है लॉकडाउन?