NEWSPR डेस्क। मुंगेर में पुल के उद्घाटन के बाद से शहर में इस पुल की मांग के नायक रहे तत्कालीन सांसद ब्रह्मानंद मंडल को निमंत्रण नहीं मिलने के बाद से शहर में चर्चाओं का माहौल गरम हो गया। इस मामले में सांसद ब्रह्मानंद मंडल और उनके पुत्र नचिकेता मंडल ने बताया कि सरकार और प्रसाशन राजनीति से चलती है और किसी के राजनीति को ऊपर नीचे करने के उद्देश्य से ऐसा हुआ है।
मुंगेर की जनता जानती है इस पुल के लिए किसका योगदान है। हालांकि ब्रह्मानंद मंडल की उम्र अधिक होने की वजह से उनकी यादास्त में भी कमी आ गयी है लेकिन उनके पुत्र और शहर के लोगों को इस बात की पीड़ा जरूर दिख रही है। सांसद ने बताया कि वह खुश हैं और पुल को देखने जरूर जाएंगे। नचिकेता मंडल ने विस्तार से पुल के संघर्षों की कहानी बताई और निमंत्रण नहीं मिलने की पीड़ा जाहिर की। उन्होंने बताया कि वर्ष 1953 से मुंगेर गंगा पुल की मांग की शुरुआत हुई थी। जिसके बाद धीरे धीरे ये मांग आंदोलन का रूप ले लिया। इस आंदोलन को और तेज बनाने के लिए जागृति नाम की एक संस्था बनायी गयी और ये आंदोलन 1971 ई0 तक चला।
जिसके बाद जागृति संस्था ने वर्ष 1989 के 09 एवं 10 अगस्त को जनता कर्फ्यू लगाया गया और उसी वर्ष सरकार पर दबाव बनाने के लिए सितंबर महीने के दो दिनों तक आईटीसी के सिगरेट भरे वाहनों को रोक दिया गया। जिसके बाद उस समय के तत्कालीन मुंगेर के सांसद ब्रह्मानंद मंडल के नेतृत्व में इस आंदोलन को जागृति संस्था के साथ और तेज किया गया। जिसके बाद 1991 में पहली बार लोकसभा में सांसद ब्रह्मानंद मंडल ने मुंगेर पुल के मुद्दे को उठाया। उन्होंने उस समय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्रालय को लगातार पत्राचार किया लेकिन उस समय के मौजूदा सरकार ने इस मांग को नकार दिया।
तब सांसद ने 13 अन्य सहयोगियों के साथ साल 1994 मे 25 अक्टूबर से 07 नवंबर तक में आमरण अनशन करते हुए सत्याग्रही आंदोलन मुंगेर में शुरू किया। वहीं आमरण अनशन के 14वें दिन जार्ज फर्नांडिस ने तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे प्रणव मुखर्जी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने और मांग को मांग लेने का आग्रह किया। जिसके बाद प्रणव मुखर्जी ने मुंगेर सांसद ब्रह्मानंद मंडल को पत्र लिखकर और फैक्स के माध्यम से आमरण अनशन समाप्त करनेका आग्रह करते हुए मुंगेर में रेल सह सड़क पुल निर्माण का लिखित आश्वासन दिया।
जिसके बाद केंद्र सरकार ने 10वीं पंचवर्षीय योजना में इस पुल निर्माण की परियोजना को शामिल किया और 15 अगस्त 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली से रिमोट के द्वारा शिलान्यास किया था। और इसके लंबे संघर्ष का नतीजा है ही है जो मुंगेर में गंगा पुल निर्माण संभव हो पाता। चाहे सरकार या प्रसाशन ब्रह्मानंद मंडल को सम्मान न दे लेकिन मुंगेर की जनता सम्मान कर रही है बस इस बात की खुशी है हमें।
मुंगेर से मो. इम्तियाज की रिपोर्ट