NEWSPR डेस्क। भगवान शिव का दिन महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। शिव अराधना के लिए महाशिवरात्रि को विशेष माना जाता है। शिवरात्रि के मुख्य पर्व साल में दो बार व्यापक रुप से मनाया जाता है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से शंकर भगवान की पूजा करते हैं।
बता दें कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये पर्व मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 1 मार्च,2022 दिन मंगलवार को है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-आराधना से माता पार्वती और भोले बाबा अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइये जानते हैं महाशिवरात्रि का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त।
1 मार्च को शिवरात्रि सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर बुधवार 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी। रात्रि की पूजा शाम को 6 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 33 मिनट तक होगी। महाशिवरात्रि के दिन चार पहर में पूजा की जाती है।
चारों पहर का मुहूर्त
1.पहले पहर की पूजा- 1 मार्च, 2022 शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट तक
2: दूसरे पहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट तक
3: तीसरे पहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3 :39 मिनट तक
4: चौथे प्रहर की पूजा- 2 मार्च सुबह 3:39 मिनट से 6:45 मिनट तक
व्रत पारण का शुभ समय- 2 मार्च, 2022 दिन बुधवार को 6 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
शिवरात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। पूरी रात्रि का दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। साथ ही बेलपत्र, भांग धतूर, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और दक्षिणा भी चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें। पूजा में सभी उपचार चढ़ाते हुए ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें।
वैसे तो महाशिवरात्रि के महत्व का उल्लेख अलग-अलग ग्रंथों में किया गया है। सबसे ज्यादा प्रचलित मान्यता है इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। जिसका जिक्र शिवपुराण में किया गया है। ये भी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर ही भगवान शिव और शक्ति का मिलन हुआ था।