NEWSPR डेस्क। नालंदा के शीतला मंदिर में 3 साल बाद रौनक लौटी है। तीन दिवसीय मघड़ा मेले की शुरुआत हो चुकी है। मां शीतला मंदिर के पुजारी बताते हैं कि प्राचीन काल से चैत्र कृष्ण पक्ष सप्तमी के दिन मघड़ा तथा इसके आसपास के गांवों में बसिऔड़ा मनाने की परंपरा चली आ रही है। इन गांवों के लोग गुरुवार की शाम में खाना बनाने के बाद अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। शुक्रवार अष्टमी को किसी घर में चूल्हे नहीं जलाते हैं। रात में बनाये गये खाने को लोग ग्रहण करते हैं।
मघड़ा के ग्रामीण बताते हैं कि मिट्ठी कुआं का पानी कभी नहीं सुखता है तथा पानी काफी मीठा है। पुजारी बताते हैं कि जिस दिन मां की प्रतिमा कुएं से निकाली गयी थी। उस दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी थी तथा अष्टमी के दिन मां की प्रतिमा की स्थापना हुई थी। उसी समय से मघड़ा में मेले की शुरुआत हुई, जो अब तक जारी है।
ऐसी मान्यता है कि मंदिर के विभूति और तालाब के जल का सेवन करने से चेचक रोगी पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं। स्वस्थ होने के बाद लोग पुनः मंदिर के प्रांगण में स्थित तालाब में स्नान करने आते है और पूजा पाठ करते हैं।इस मेले में बिहार बंगाल उड़ीसा झारखंड से श्रद्धालु आते हैं।
नालंदा से ऋषिकेश की रिपोर्ट