NEWSPR डेस्क। ग्राहकों और प्रमोटरों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए बिहार रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी(रेरा) ने एक नई पहल की शुरुआत की है। इस पहल की शुरुआत महाराष्ट्र रेरा के तर्ज पर किया गया है। बिहार रेरा ने प्रमोटरों और आवंटियों के बीच विवादों के समाधान के लिए बिहार कॉन्सिलिएशन एंड डिस्प्यूट रेजुलेशन सेल (बीसीडीआरसी) की स्थापना की है। इसके तहत पहले ही दिन 23 मामलों को उठाया गया।
बीसीडीआरसी की स्थापना का उद्देश्य औपचारिक शिकायत निपटान तंत्र में जाने से पहले विवादों का समाधान करना है। इसमें घर खरीदारों और प्रमोटरों की सीधी भागीदारी होगी। साथ ही कम समय में विवादों का समाधान करना है। वहीं पारदर्शी बनाने के लिए सुलह मंच का गठन इस तरह से किया गया है कि प्राधिकरण द्वारा नामित सुलहकर्ता सलाहकार के समग्र मार्गदर्शन में ग्राहकों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ प्रमोटर भी सुलहकर्ता की भूमिका में हों।
पूर्व जिला न्यायाधीश और पूर्व निर्णायक अधिकारी वेद प्रकाश के साथ बायर्स एसोसिएशन, प्रमोटर / बिल्डर एसोसिएशन के एक-एक सुलहकर्ता ने सुलह फोरम का गठन किया।
बता दें कि महाराष्ट्र रेरा में सुलह तंत्र को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। जहां ग्राहकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले सुलहकर्ता मुंबई ग्राहक पंचायत से हैं। रिटायर्ड IAS और बिहार रेरा के मेंटर गौतम चटर्जी बिहार में सुलह प्रक्रिया शुरू करने में सहायता कर रहे हैं। वे महाराष्ट्र रेरा के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रमोटरों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले उम्मीदवारों का चयन क्रेडाई के बिहार चैप्टर द्वारा प्रदान किए गए नामों में से किया गया है।
मुंबई ग्राहक पंचायत एक स्वैच्छिक संस्था है। ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए काम करने वाली यह स्वैच्छिक संस्था ने 2018 से महाराष्ट्र रेरा में प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
बिहार रेरा ने घर खरीदारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले सुलहकर्ताओं को नामित करने के लिए मुंबई ग्राहक पंचायत की सहायता ली है। पारंपरिक रेरा शिकायत की तुलना में सुलह प्रक्रिया कम समय-सीमा में समाधान प्रदान करेगी। सुलह की प्रक्रिया दो या तीन बैठकों में पूरी होने की संभावना होगी। सुलह से हितधारकों की लागत भी बचेगी। सुलह शुरू करने के इच्छुक कोई भी पक्ष रेरा बिहार या इसकी बेंच या न्यायनिर्णयन अधिकारी सुलह प्रकोष्ठ के समक्ष आवेदन किया जा सकता है।
प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक है और यदि पक्ष सुलह मंच के प्रयासों के माध्यम से पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचते हैं, जो मौजूदा शिकायत मामलों के संबंध में प्राधिकरण के अंतिम आदेश का हिस्सा होगा। कुछ नए मामले, जिन पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई थी, उन्हें पहले ही सुलह के लिए भेजा जा चुका है। दोनों पक्षों द्वारा अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने में असमर्थ होने की स्थिति में मामले को प्राधिकरण या न्यायनिर्णायक अधिकारी, जैसा भी मामला हो, उसके समक्ष रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) के प्रावधानों के अनुसार सुनवाई की जाएगी।