NEWSPR डेस्क। खबर बिहार के बेगूसराय से है। जहां 15 साल से लगभग 5 करोड़ से अधिक की लागत से निर्माणाधीन मंझौल अनुमंडलीय अस्पताल महज सार्वजनिक शौचालय, जुआरियों का अड्डा और स्थानीय लोगों का अतिक्रमित आशियाना बन चुका है। यह अस्पताल 75 बेड वाला बनने वाला था।
जो मंझौल और बखरी अनुमंडल के करीब 8 लाख से अधिक लोगों को स्वास्थ्य लाभ देने वाला साबित हो सकता था। अब इसके जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय लोगों को किसी फरिश्ते का इंतजार है। बता दें कि वर्ष 2006-07 में बिहार सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री चंद्रमोहन राय ने इस अस्पताल को स्वीकृति दिलवा कर अस्पताल का शिलान्यास किया था। जिसके कुछ साल में ही यह भवन बनकर तैयार हो गया था।
इसमें टाइल्स , प्लास्टर , वायरिंग तथा सारे खिड़कियों में ग्रिल भी लगा दिया गया था। पर इसके बाद विभागीय लापरवाही से निर्माण कार्य रुक गया । जिसके कुछ समय बाद ही इस निर्माणधीन भवन के भीतर स्थानीय लोगों के लिए शौचालय, असामाजिक तत्वों का जमावड़ा आदि लगने लग गया। जो अब यहां की नियति बन चुका है।